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वान ऐस को हॉकी कोच पद से हटाये जाने से मौजूदा और पूर्व ओलंपियन स्तब्ध

नयी दिल्ली : पूर्व और मौजूदा भारतीय खिलाडियों का मानना है कि राष्ट्रीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच के पद पर नियुक्ति के पांच माह बाद ही पाल वान ऐस को ‘हटाना’ 2016 रियो ओलंपिक की टीम की तैयारी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. भारतीय टीम के साथ वान ऐस के भविष्य […]

नयी दिल्ली : पूर्व और मौजूदा भारतीय खिलाडियों का मानना है कि राष्ट्रीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच के पद पर नियुक्ति के पांच माह बाद ही पाल वान ऐस को ‘हटाना’ 2016 रियो ओलंपिक की टीम की तैयारी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. भारतीय टीम के साथ वान ऐस के भविष्य पर उस समय सवाल उठने लगे थे जब कल हिमाचल प्रदेश के शिलारु में भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के केंद्र में वह राष्ट्रीय टीम के शिविर के लिए नहीं पहुंचे थे.

नीदरलैंड का यह कोच पद पर बरकरार नहीं रहेगा इन अटकलों को उस समय और हवा मिली जब वह बेल्जियम के एंटवर्प में हाल में संपन्न विश्व हॉकी लीग सेमीफाइनल्स में भारत के प्रदर्शन पर अपनी रिपोर्ट सौंपने में नाकाम रहे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विश्व लीग सेमीफाइनल्स में मलेशिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच के बाद वान ऐस की हॉकी इंडिया अध्यक्ष नरिंदर बत्रा के साथ सार्वजनिक बहस हुई थी. राष्ट्रीय टीम के एक सीनियर खिलाड़ी ने कहा कि कोचों को लगातार बदलने से खिलाडियों को ही नुकसान उठाना पडता है.

इस खिलाड़ी ने कहा, निश्चित तौर पर इसका (कोच में बदलाव) हम पर असर पड़ता है. इससे हमारी ट्रेनिंग, हमारा प्रदर्शन और हमारी तैयारी (रियो ओलंपिक के लिए) प्रभावित होता है. कोच के साथ प्रतिष्ठा बनाने में समय लगता है. कोच की शैली को समझने और फिर इसे अपनाने में समय लगता है. इसलिए अगर मुख्य कोच को लगातार बदला जाता है तो इससे प्रदर्शन प्रभावित होना ही है.

खिलाड़ी ने कहा , टैरी वाल्श के मार्गदर्शन में हमने डेढ साल तक अभ्यास किया. हम उनकी शैली के आदी हो गए थे और हमारे प्रदर्शन में निखार आ रहा था. हमने उनके मार्गदर्शन में ओलंपिक के लिये भी क्वालीफाई किया लेकिन फिर वह चले गए. उसके बाद वान ऐस आये और हमने उनके साथ अभ्यास शुरु किया. अभी चार पांच महीने ही हुए थे और अब बात हो रही है कि वह भी वापिस नहीं आयेंगे.

उन्होंने कहा , ओलंपिक में एक साल रह गया है. इस अनिश्चितता से हमारी तैयारियां फिर बाधित होगा. उन्होंने कहा कि कोच ने खिलाडियों या कोचिंग स्टाफ से कोई संपर्क नहीं किया है. उन्होंने कहा , वान ऐस ने हमसे बात नहीं की है. हमें उनके बारे में कुछ नहीं पता. यह छोटा सा शिविर है लिहाजा यहां कोई बड़ी दिक्कत नहीं होगी लेकिन हमें दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में सोचना है.

मौजूदा शिविर तीन अगस्त तक चलेगा. पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है लेकिन हॉकी इंडिया को कोच पर भरोसा करना चाहिये. उन्होंने कहा, हमारे ओलंपिक की तैयारियों पर अनिश्चितता छा गई है. हॉकी में लोगों का अहम बड़ा होता है और वे आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते. अब हम अपने प्रदर्शन पर सार्वजनिक रुप से बहस नहीं कर सकते. लोगों को आलोचना पसंद नहीं आती.

उन्होंने कहा, हॉकी इंडिया को कोच पर भरोसा करना चाहिये. ओलंपिक में ज्यादा समय नहीं रह गया है. वहीं पूर्व खिलाड़ी अजित पाल सिंह ने कहा कि हाई परफार्मेंस निदेशक रोलेंट ओल्टमेंस को ओलंपिक तक टीम का प्रभार सौंप देना चाहिये.

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