नयी दिल्ली : यह पढ़कर आप चौंक जाएंगे कि दुनिया भर की विभिन्न मैराथन में अपने दमखम का शानदार प्रदर्शन करने वाले कीनियाई धावक अपनी पुरस्कार राशि का बड़ा हिस्सा पशुपालन विशेषकर गाय पालने में खर्च कर देते हैं.
इस बात का खुलाया खुद कीनियाई धावकों ने स्वयं किया है. इस साल के शुरु में लंदन मैराथन में दूसरे स्थान पर रहने वाले स्टेनले बिवोट ने कहा कि कीनियाई परपंरा को बनाये रखने के लिये वे पशुपालन से जुडे हुए हैं.
बिवोट के पास अभी दस मवेशी हैं और वह इस संख्या को बढ़ाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, मेरे पास पर्याप्त मवेशी हैं. यदि मैं वहां नहीं हूं तो परिवार का कोई सदस्य उनकी देखरेख करता है.हम घरेलू और व्यवसायिक उद्देश्यों से पशुपालन से जुडे हैं. हमारे क्षेत्र में मवेशियों से काफी दुग्ध उत्पादन होता है जो कि जीविका का बहुत अच्छा साधन है.
मौजूदा विश्व चैंपियन किपसांग कैमवोरोर के पास भी घर में तीन मवेशी है और वह इससे खुश हैं. उन्होंने कहा, हम सभी के पास घरों में मवेशी हैं.यह भी दौड़ने की तरह एक परंपरा है. उन्हें दिल्ली हॉफ मैराथन में खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वह इससे पहले 2011 और 2013 में यहां भाग ले चुके हैं. दोनों बार वह उप विजेता रहे थे. कैमवोरोर का लक्ष्य पिछले साल के अपने समय 58 मिनट 54 सेकंड़ में सुधार करना है.
उन्होंने कहा, मैं पांचवीं बार भारत आया हूं. मैं दो बार बेंगलूर (दस किमी दौड) में विजेता रहा और दिल्ली में दो बार दूसरे स्थान पर आया. मैं रविवार को जीत की कोशिश करुंगा. उम्मीद है कि मौसम अच्छा रहेगा.