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डेविस कप में सार्बिया बनेगा भारत को लिए बड़ी चुनौति

बेंगलूर: डेविस कप में भाग लेने पहुंची सर्बिया की टीम दुनिया की नंबर एक टेनिस खिलाडी नोवाक जोकोविच के बगैर के बिना ही आई है. इसके बावजूद कल से शुरू होने वाले डेविस कप में यह टीम भारत के लिए बड़ी चुनौति होगी. भारत ने आखिरी बार अंतिम 16 के समूह में 2010 में प्रवेश […]

बेंगलूर: डेविस कप में भाग लेने पहुंची सर्बिया की टीम दुनिया की नंबर एक टेनिस खिलाडी नोवाक जोकोविच के बगैर के बिना ही आई है. इसके बावजूद कल से शुरू होने वाले डेविस कप में यह टीम भारत के लिए बड़ी चुनौति होगी. भारत ने आखिरी बार अंतिम 16 के समूह में 2010 में प्रवेश किया था लेकिन इसी सर्बियाई टीम ने उसे नोवी साद में पहले दौर में 4.1 से हराकर बाहर कर दिया था.

भारत के सामने अब बदला चुकता करने का समय है लेकिन यह कहना आसान है और असल में करना बेहद मुश्किल. जोकोविच के बगैर भी सर्बिया की टीम में यांको टिपसारेविच और विक्टर ट्रोइकी जैसे खिलाडी हैं जो भारतीयों की परेशानी का सबब बन सकते हैं. भारत के शीर्ष एकल खिलाडी सोमदेव देववर्मन पिछले छह महीने से खराब फार्म में है और वह एटीपी सर्किट पर पहले दूसरे दौर से आगे नहीं बढ पा रहे. दूसरी ओर एकल में सर्बिया की चुनौती पेश कर रहे डुसान लाजोविच जबर्दस्त फार्म में हैं.
दुनिया के 61वें नंबर के खिलाडी ने अपने से निचली रैंकिंग वाले खिलाडियों के सामने अब तक सिर्फ चार मैच गंवाये हैं. सोमदेव हालांकि शंघाई चैलेंजर में एकल और युगल फाइनल्स में पहुंचे थे. उन्होंने कोर्ट पर काफी समय बिताया और विरोधी को चुनौती देने के फन में वह माहिर हैं. डेविस कप में वह हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं और भारतीय खेमे को उनसे यही उम्मीद होगी.
डेविस भारत दो पिछले साल इटली में लाजोविच ने सोमदेव को हराया था लेकिन वह मुकाबला लाजोविच को अधिक रास आने वाले क्लेकोर्ट पर था. भारत के निशाने पर सर्बिया के दूसरे एकल खिलाडी फिलीप क्राजिनोविच होंगे. सोमदेव और युकी भांबरी अगर 107वीं रैंकिंग वाले इस खिलाडी को हरा देते हैं तो भारत के पास विश्व ग्रुप में फिर प्रवेश का सुनहरा मौका होगा.
क्राजिनोविच ने इस साल दो चैलेंजर खिताब जीते हैं और शीर्ष स्तर पर कुछ मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन किया है. चेन्नई चैलेंजर जीतकर सत्र की शुरुआत करने वाले युकी पैर की चोट के कारण अधिकाश समय नहीं खेल सके. जुलाई में वापसी के बाद से उन्होंने ज्यादा मैच नहीं खेले हैं लिहाजा देखना होगा कि वह कैसा प्रदर्शन करते हैं.
पहले दिन अगर भारतीय खिलाडी क्राजोनोविच को हराने में कामयाब रहे तो उनके पास दूसरे दिन बढत बनाने का मौका है जब लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना का सामना नेनाद जिमोंजिच और इलिजा बोजोलजाच से होगा. भारतीय टेनिस के इतिहास के सबसे कामयाब खिलाडी पेस की मौजूदगी बहुत बडा संबल है लेकिन देखना यह होगा कि वह बोपन्ना के साथ कैसे खेलते हैं चूंकि दोनों ने लंबे समय से साथ नहीं खेला है.
जिमोंजिच और बोजोलजाच ने युगल धुरंधर बाब और माइक ब्रायन को 2013 डेविस कप में हराया था. साकेत मायनेनी की जगह टीम में वापसी कर रहे पेस का मानना है कि भारत यह मुकाबला जीत सकता है. पेस ने कहा ,‘‘ सर्बिया अगर जोकोविच, टिपसारेविच और ट्रोइकी के साथ आता तब बात अलग होती. घरेलू टीम का समर्थन करने वाले दर्शकों की भीड का उन पर कैसा असर होगा, यह देखना होगा. मैच के नतीजे में पांच, छह अंकों की निर्णायक भूमिका होगी. अगर हम चतुराई से खेल सकें तो वे अंक जुटा सकेंगे.’’ जिमोंजिच सर्किट पर पेस के जोडीदार रह चुके हैं और 2005 में दोनों ने दो खिताब जीते थे जबकि तीन टूर्नामेंटों के फाइनल में पहुंचे थे.
आठ ग्रैंडस्लैम जीत चुके जिमोंजिच ने कहा कि अपने पूर्व जोडीदार के खिलाफ खेलना कठिन है. उन्होंने कहा ,‘‘ मैने लिएंडर और रोहन दोनों के खिलाफ खेला है. दोनों बेहतरीन खिलाडी हैं. हमारे लिये यह कठिन होगा.’’ जिमोंजिच ने कनाडा के डेनियल नेस्टर के साथ इस सत्र में पेस या बोपन्ना से एक भी मैच नहीं हारा है. विम्बलडन क्वार्टर फाइनल में उन्होंने पेस और राडेक स्टीपानेक को हराया जबकि बार्सीलोना और दुबई में बोपन्ना और ऐसाम उल हक कुरैशी को मात दी थी.

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