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SC ने BCCI से सील बंद लिफाफे में मांगे प्रशासकों के नाम, 30 जनवरी को होगी घोषणा

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य क्रिकेट संघों को शीर्ष क्रिकेट संस्था बीसीसीआई के संचालन के लिये प्रशासकों की समिति में नियुक्ति की खातिर नामों का सुझाव देने की अनुमति दे दी. साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 70 साल से अधिक आयु के किसी भी नाम पर विचार नहीं किया […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य क्रिकेट संघों को शीर्ष क्रिकेट संस्था बीसीसीआई के संचालन के लिये प्रशासकों की समिति में नियुक्ति की खातिर नामों का सुझाव देने की अनुमति दे दी. साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 70 साल से अधिक आयु के किसी भी नाम पर विचार नहीं किया जाना चाहिए.

शीर्ष अदालत ने केंद्र की ओर से पक्ष रख रहे अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और राज्य क्रिकेट संघों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की इन दलीलों पर विचार किया कि उन्हें भी बीसीसीआई के संचालन के लिए प्रशासकों की समिति के लिए नाम सुझाने की अनुमति दी जाए.

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘इस स्तर पर भारत के अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी है कि केंद्र सरकार को कुछ नाम सुझाने की अनुमति दी जा सकती है ताकि समग्र सोच वाली समिति का गठन किया जा सके.” उन्होंने कहा, ‘‘अटार्नी जनरल रोहतगी और कुछ राज्य संघों के वकील सिब्बल के विचार सुनने के बाद हम उन्हें बीसीसीआई के लिए प्रशासकों की समिति के लिहाज से सीलबंद लिफाफे में नाम सुझाने की अनुमति देते हैं.” शीर्ष अदालत ने शुरू में न्याय मित्र अनिल दीवान और गोपाल सुब्रह्मणियम से प्रशासकों की नियुक्ति के लिये नामों का सुझाव देने को कहा था.

पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड भी हैं. न्यायालय ने बीसीसीआई और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद नामों की घोषणा का फैसला 30 जनवरी के लिये स्थगित कर दिया.

खंडपीठ ने बीसीसीआई को आईसीसी की कार्यकारिणी की दो फरवरी को होने वाली बैठक में बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने के लिये उसके मौजूदा पदाधिकारियों में से ही तीन ऐसे नामों की सूची तैयार करने की अनुमति दे दी जो निर्धारित प्रक्रिया के तहत अयोग्य नहीं है.

पीठ ने कहा कि प्रशासकों के पद और आईसीसी में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करने के लिये नाम 27 जनवरी तक सीलबंद लिफाफे में सौंपे जायें. न्यायालय ने बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस दलील का संज्ञान लिया कि क्र्रिकेट संस्था को भी प्रशासकों की नियुक्ति के लिये नामों के बारे में सुझाव देने की छूट मिलनी चाहिए.

शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की इस दलील पर भी विचार किया कि केंद्र को भी नामों पर सुझाव देने की अनुमति दी जाये. उन्होंने कहा कि केंद्र एक विधेयक लाने पर विचार कर रहा है.

मामले की सुनवाई शुरू होते ही रोहतगी ने कहा कि प्रशसकों की नियुक्ति का मामला दो सप्ताह के लिये टाल दिया जाये क्योंकि केंद्र खेल संस्थाओं की स्वायत्ता के मामले में कानून बनाने या फिर एक शासकीय आदेश लाने पर विचार कर रहा है. सिब्बल ने इससे सहमति जताते हुये ऐसा ही अनुरोध किया.

पीठ ने इस अनुरोध को ठुकराते हुये कहा कि यह मामला दोनों तरफ जायेगा. आर एम लोढ़ा समिति की मदद के लिये प्रशासकों की समिति का गठन किया जाना है.

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