नयी दिल्ली : चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष संदीप पाटिल ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान महेंद्र सिंह धौनी को कप्तानी से हटाने पर चर्चा हुई थी लेकिन उनका टेस्ट क्रिकेट से संन्यास उनके लिये ‘हैरान’ कर देने वाला था. पाटिल ने इसके साथ ही साफ किया कि इस बात में कोई सचाई नहीं है कि गौतम गंभीर और युवराज सिंह जैसे सीनियर खिलाडियों को बाहर करने में धौनी का हाथ था.
पाटिल ने एबीपी न्यूज से कहा, ‘‘बेशक हमने इस पर (धौनी को कप्तानी से हटाने पर) संक्षिप्त चर्चा की थी लेकिन हमने सोचा कि इसके लिये समय सही नहीं है कि क्योंकि विश्व कप (2015) पास में है. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘हमें महसूस हुआ कि नये कप्तान को कुछ समय दिया जाना चाहिए. विश्व कप को ध्यान में रखते हुए हमने धौनी को कप्तान बनाये रखा. मेरा मानना है कि विराट को सही समय पर कप्तानी मिली.
विराट छोटे प्रारुपों में भी टीम की अगुवाई कर सकता है लेकिन अब इसका फैसला नई चयनसमिति को करना होगा. ‘ पाटिल ने धोनी के टेस्ट से संन्यास लेने के फैसले को हैरान करने वाला बताया क्योंकि टीम आस्ट्रेलिया में तब जूझ रही थी. उन्होंने कहा, ‘‘वह कड़ी श्रृंखला थी। मैं यह नहीं कहूंगा कि धौनी एक डूबते जहाज के कप्तान थे लेकिन चीजें हमारे अनुकूल नहीं हो रही थी. ऐसे में हमारा एक सीनियर खिलाड़ी संन्यास का फैसला करता है. यह हैरान करने वाला था लेकिन आखिर में यह उनका (धौनी) निजी फैसला था. ‘
धौनी और कोहली की कप्तानी की तुलना करने के बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा, ‘‘उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव. प्रत्येक कप्तान की इच्छा होती है कि वह अपनी टीम गठित करे और अपने खिलाडियों की क्षमता को समझे. विराट को ‘एंग्री यंग मैन’ के रुप में जाना जाता है लेकिन यह नियंत्रित आक्रामकता है. धौनी शांतचित है लेकिन हमेशा अपने दिल की बात कहता है. जब मैंने रिपोर्टों में धौनी के गंभीर और युवराज के साथ संबंधों के बारे में पढ़ा तो मुझे निराशा हुई.
धौनी ने कभी उनके चयन का विरोध नहीं किया. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें टीम से बाहर करने का फैसला पूरी तरह से चयनकर्ताओं का था तथा धौनी ने गंभीर और युवराज को बाहर करने को लेकर कोई बात नहीं की. दोनों कप्तानों ने कभी किसी खिलाड़ी का विरोध नहीं किया. ‘