नयी दिल्ली : आस्ट्रेलिया पर टेस्ट श्रृंखला में ऐतिहासिक जीत, एकदिवसीय क्रिकेट में लगातार सफलता और आईपीएल के स्पाट फिक्सिंग के दाग के बीच भारतीय क्रिकेट में वर्ष 2013 देश के महान सपूत सचिन तेंदुलकर के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास के लिये याद किया जाएगा.
भारत ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली बार किसी टेस्ट श्रृंखला में 4-0 से क्लीन स्वीप करके साल की शुरुआत की. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उसकी सरजमीं पर हालांकि टीम को पहले टेस्ट में जीत की स्थिति में होने के बावजूद ड्रा से संतोष करना पड़ा. दोनों टीमों के बीच डरबन में 26 दिसंबर से दूसरा मैच खेला जाएगा.
बहरहाल भारतीय क्रिकेट की इस साल सबसे बड़ी खबर तेंदुलकर का संन्यास रहा जिन्होंने 16 नवंबर को वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट क्रिकेट मैच के बाद 24 साल और एक दिन तक चले अपने लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर का अलविदा कहा. अपने करियर के दौरान उन्होंने बल्लेबाजी के अधिकतर रिकाडरें को अपने नाम लिखा जिसमें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाना भी शामिल है.
पाकिस्तान के खिलाफ 15 नवंबर 1989 को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का शुरुआत करने वाले तेंदुलकर ने रिकार्ड 200वां टेस्ट मैच खेलकर संन्यास लिया. इस तरह से उन्होंने अपने करियर में 200 टेस्ट मैचों की 329 पारियों में 33 बार नाबाद रहते हुए 53.78 की औसत से 15921 रन बनाये जिसमें 51 अर्धशतक और 68 अर्धशतक शामिल हैं.
भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने 10 अक्तूबर को संक्षिप्त बयान जारी करके कहा कि तेंदुलकर ने क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया है. वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला आयोजित की गयी और तेंदुलकर को इस तरह से अपने घरेलू मैदान वानखेड़े स्टेडियम मुंबई में विदाई टेस्ट खेलने का मौका मिला.
वह 16 नवंबर 2013 का दिन था जब ऐसा लग रहा था कि मानो देश की सारी सड़कें वानखेड़े स्टेडियम की तरफ जा रही हों. कुछ समय के लिये तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की निगाहें एकटक अरब सागर के करीब स्थित इस स्टेडियम पर टिक गयी थी. तेंदुलकर ने जिस तरह से बल्लेबाजी के अपने हर फन का नमूना पेश करके क्रिकेट प्रेमियों का मंत्रमुग्ध किया था, उससे भी बेजोड़ था उनका संबोधन जिसने एक नहीं करोड़ों आंखों का नम कर दिया था.
तेंदुलकर की 24 साल की तपस्या का असर था कि उनकी आवाज जादू बिखेर रही थी. वह अपने माता पिता से लेकर कोच, साथियों, फिजियो, मीडिया और अपने प्रषंसकों का आभार व्यक्त कर रहे थे. तेंदुलकर ने जिस तरह से अपने करियर के दौरान छोटी छोटी चीजों पर ध्यान दिया उसी तरह से अपने भाषण में भी उन्होंने हर उस छोटे बड़े व्यक्ति के प्रति सम्मान प्रकट किया जिसने उनके करियर को संवारने में भूमिका निभायी हो. एक तपस्वी की ढाई दशक की तपस्या का यह शानदार अंत था.
महेंद्र सिंह धौनी की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने इस साल की शानदार शुरुआत की. उसने आस्ट्रेलिया को अपनी सरजमीं पर चार टेस्ट मैचों में 4-0 से हराकर उससे पिछली हार का बदला भी चुकता कर दिया. भारत ने चारों मैच बड़े अंतर से जीते. यह पहला अवसर था जबकि भारत ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में क्लीन स्वीप किया था. इसके बाद टीम ने तेंदुलकर की विदाई श्रृंखला में वेस्टइंडीज को दो मैचों की श्रृंखला में 2-0 से हराया.
भारत के युवा बल्लेबाजों चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली आदि ने राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की कमी नहीं खलने दी. शिखर धवन ने मोहाली में पदार्पण टेस्ट मैच में 187 रन की जबर्दस्त पारी खेली जबकि मुरली विजय ने उनके साथ अच्छी जोड़ी बनाकर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर के लिये मुश्किलें खड़ी की.
वेस्टइंडीज के खिलाफ रोहित शर्मा ने दोनों टेस्ट मैचों में शतक जड़कर लंबे प्रारुप में धमाकेदार आगाज किया. मोहम्मद शमी ने कोलकाता टेस्ट मैच में नौ विकेट लेकर भारतीय तेज गेंदबाजी को मजबूती प्रदान की. इस बीच दोनों श्रृंखलाओं में प्रज्ञान ओझा, आर अश्विन और रविंदर जडेजा ने स्पिन विभाग में अनिल कुंबले और हरभजन कमी महसूस नहीं होने दी.
एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तो लगभग हर टूर्नामेंट में भारत की तूती बोली. उसने इंग्लैंड को घरेलू सरजमीं 3-2 से हराया और फिर इंग्लैंड में खेली गयी आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी जीतकर नया इतिहास रचा. धौनी दुनिया के ऐसे पहले कप्तान बन गये जिनकी अगुवाई में टीम ने टी20 विश्व कप, वनडे विश्व कप और चैंपियन्स ट्रॉफी जीती. चैंपियन्स ट्रॉफी आखिरी बार आयोजित की गयी क्योंकि आईसीसी का इसके बाद 2017 से टेस्ट चैंपियनशिप के आयोजन का विचार है.
भारत ने वेस्टइंडीज में त्रिकोणीय श्रृंखला में जीत दर्ज की जिसमें तीसरी टीम श्रीलंका की थी. उसने जिम्बाब्वे को उसकी सरजमीं पर 5-0 से हराया और फिर अपनी धरती पर आस्ट्रेलिया को 3-2 और वेस्टइंडीज को 2-1 से शिकस्त दी. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वह जरुर 0-2 से श्रृंखला हार गया लेकिन इससे भारत की नंबर एक रैंकिंग पर कोई असर नहीं पड़ा. भारत इस साल केवल एक टी20 मैच खेला. आस्ट्रेलिया के खिलाफ राजकोट में खेला गया यह मैच उसने छह विकेट से जीता.
भारत की इन जीतों में बल्लेबाजों विशेषकर विराट कोहली (1268 रन), रोहित (1196) और धवन (1162) ने अहम भूमिका निभायी. इन तीनों ने वर्ष में 1000 से अधिक रन बनाये. रोहित वेस्टइंडीज के खिलाफ बेंगलूर में 209 रन बनाकर तेंदुलकर और सहवाग के बाद वनडे में दोहरा शतक जड़ने वाले तीसरे बल्लेबाज बने.
भारतीय क्रिकेट इस वर्ष भी विवादों से अछूता नहीं रहा. आईपीएल पर स्पाट फिक्सिंग और सट्टेबाजी का दाग लगा. राजस्थान रायल्स के तीन खिलाड़ियों एस श्रीसंत, अजित चंदीला और अंकित चव्हाण को जेल जाना पड़ा जो भारतीय क्रिकेट के लिये काला अध्याय जैसा था.
मामला यहीं पर नहीं थमा. बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को भी सट्टेबाजी के आरोपों में गिरफ्तार किया गया. रायल्स के सह मालिक राज कुंद्रा से भी पूछताछ की गयी. मयप्पन की गिरफ्तारी के बाद श्रीनिवासन की नैतिकता को लेकर सवाल उठाये गये लेकिन उन्होंने अपना पद नहीं छोड़ा.
श्रीनिवासन ने बीच में कुछ समय के लिये अपने पद की जिम्मेदारियां नहीं निभायी और उनकी जगह जगमोहन डालमिया ने अंतरिम अध्यक्ष की भूमिका निभाकर बोर्ड की राजनीति में फिर से वापसी की. श्रीनिवासन हालांकि सितंबर में एक साल के लिये फिर से अध्यक्ष बना दिये गये और अब वह अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रहे हैं.
इस बीच दक्षिण अफ्रीकी दौरे को लेकर विवाद पैदा हो गया. बीसीसीआई हारुन लोर्गट को क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका :सीएसए: का सीईओ बनाने से नाराज था. सीएसए ने भारत के खिलाफ तीन टेस्ट, सात वनडे और दो टी20 मैच का कार्यक्रम घोषित कर दिया. बीसीसीआई ने इसे स्वीकार नहीं किया और आखिर में दो टेस्ट और तीन वनडे खेलने के लिये टीम दक्षिण अफ्रीका गयी.
घरेलू टूर्नामेंट की बात करें तो मुंबई ने रिकार्ड 40वीं बार रणजी ट्रॉफी जीती. मुंबई इंडियन्स ने आईपीएल के अलावा चैंपियन्स लीग टी20 का खिताब भी अपने नाम किया. पुणे वारियर्स ने इस बीच आईपीएल से हटने का फैसला भी किया.
भारतीय क्रिकेट प्रेमी पिछले कई वर्षों से खिलाड़ियों की जर्सी पर सहारा देखने के आदी हैं लेकिन वर्ष 2014 में उन्हें इसके बजाय स्टार इंडिया देखने को मिलेगा जिसने बीसीसीआई से 31 मार्च 2017 तक के लिये प्रायोजन अधिकार हासिल किये हैं.