टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी भारतीय क्रिकेट के सबसे कामयाब कप्तान हैं, ये बात आप जानते हैं. आपको शायद यह भी पता हो कि वन-डे क्रिकेट के इतिहास में वे आंकड़ों और काबिलियत के लिहाज से सिर्फ अपनी बल्लेबाजी के बूते किसी भी सर्वकालीन महान टीम का हिस्सा हो सकते हैं.

पर संभव है कि धौनी कितने फिट हैं, इसके बारे में लोगों को ज्यादा बातें पता न हों. अपना 32वां जन्म-दिन मनानेवाले इस खिलाड़ी ने फिटनेस के मामले में खुद को क्रिकेट का महाबली साबित किया है. मौजूदा दौर में क्रिकेट का कैलेंडर सबसे व्यस्त है. इसके बावजूद धौनी हर फॉर्मेट में बिना रुके, बिना थके खेलते चले जाते हैं. जब यदा-कदा वे अनफिट होते हैं, तो उनकी टीम भी नतीजों के मामले में अनफिट होने लगती है.
वेस्टइंडीज दौरे पर टीम इंडिया जीत की पटरी से उतरती नजर आयी, तो इसकी सबसे बड़ी वजह थी कप्तान धौनी की गैरमौजूदगी. धौनी के अनफिट होने के चलते किंग्सटन के पहले वन-डे में तनाव वाले लम्हे में टीम को कैप्टन कूल की जबरदस्त कमी खली. यह बात खुद कोहली ने भी मानी. इसके बाद दूसरे वन-डे में श्रीलंका ने जो हमारा जो हाल किया, वह भी काफी भयानक रहा. बहरहाल, अंबाती रायडू के वेस्टइंडीज पहंुचने के बाद भी धौनी टीम के साथ जुड़े रहे. धौनी भले ही अनफिट होने के चलते प्लेइंग इलेवन में न हों, लेकिन परदे के पीछे से वह अब भी लीडर की भूमिका निभा रहे हैं.
इस दौरे को छोड़ दिया जाये तो धोनी की फिटनेस बेमिसाल रही है. भारतीय क्रिकेट तो दूर की बात पूरी दुनिया में धोनी के फिटनसे के आगे कोई खिलाड़ी टिक नहीं सकता है. यकीन नहीं आता है तो जरा इन आंकड़ों पर गौर करें.
2011 से लेकर अब तक धौनी ने टीम इंडिया के 25 टेस्ट मैचों में में सिर्फ 1 टेस्ट नहीं खेला, वह भी इसलिए क्योंकि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एडिलेड टेस्ट में उन पर बैन लगा था. इस दौरान टीम इंडिया के 18 टी-20 मैचों में से 17 मैच में धौनी मौजूद रहे. हालांकि, इस दौरान 64 वन-डे मैचों में धौनी ने 53 मैच ही खेले. धोनी ने इस दौरान वेस्टइंडीज के खिलाफ दो वन-डे सीरीज के 10 मैचों में हिस्सा न लेकर आराम किया जबकि श्रीलंका के खिलाफ एक मैच वह बैन की वजह से नहीं खेल सके.
टीम के कप्तान, विकेटकीपर और एक अहम बल्लेबाज की तिहरी भूमिका निभानेवाले धोनी को वैसे आराम करने का मौका बहुत कम मिल पाता है. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया या क्रिकेट साउथ अफ्रीका या फिर ईसीबी की तरह बीसीसीआई के पास कोई बेहतरीन रोटेशन पॉलिसी भी नहीं है, जिससे इतने अहम खिलाड़ी को समय-समय पर आराम दिया जा सके. अंधाधुंध अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा धौनी को 2011 से लेकर अब तक चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आइपीएल और चैंपिंयस लीग के 61 मैचों में भी शिरकत करनी पड़ी है.
क्रिकेट में जब भी कोई खिलाड़ी 30 साल का हो जाता है उसकी फिटनेस सवालों के घेरे में आने लगती है. वीरेंद्र सहवाग और जहीर खान सरीखे खिलाडि़यों का मौजूदा हाल इसी बात को साबित करता है. बदलाव के दौर से गुजर रही टीम इंडिया को धौनी जैसे खिलाड़ी और कप्तान की जरूरत है. 2015 वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए धोनी कितना क्रिकेट खेलें इस बात का फैसला चयनकर्ताओं और बीसीसीआइ को अब लेना होगा.
दिसंबर 2004 से अंतराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत करनेवाले धौनी ने मैदान पर कुल 819 दिन बिताये हैं. इनमें 352 दिन टेस्ट, 225 दिन वन-डे, टी-20 में 42 दिन, आइपीएल में 96, चैंपियंस लीग में 14, जबकि दूसरे मैचों में 90 दिन वह मैदान पर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने मात्र 8 टेस्ट, 27 वन-डे, 3 टी-20 और 3 आईपीएल/चैंपिंयस लीग के मैचों में हिस्सा नहीं लिया.
पिछले एक दशक में सचिन तेंडुलकर के बाद धौनी टीम इंडिया के सबसे बड़े क्रिकेटर बन कर उभरे हैं. लेकिन अपने कैरियर के पहले नौ साल में तेंदुलकर को भी ऐसी थकान का सामना नहीं करना पड़ा था. टेस्ट, वन-डे और टी-20 को मिला कर तेंडुलकर ने 1989 से 1998 के बीच 269 मैच खेले जबकि इसकी तुलना में धौनी ने 2004 से लेकर 2013 के जून महीने तक ही 344 मैच खेल लिये हैं. याद रखने वाली बात है कि तेंडुलकर को इस दौरान न तो आइपीएल खेलना पड़ा था और न ही चैंपियंस लीग. पूरी दुनिया में किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी ने पिछले 9 साल में इतना क्रिकेट नहीं खेला है. अगर बीसीसीआइ को धौनी को उनके 32वें जन्म-दिन पर कोई तोहफा देना चाहती है तो शायद वो यह है कि धौनी को समय-समय पर उचित ब्रेक मिले.
।। विमल ।।