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जन्मदिन की बधाई धौनी : ….जब ऑर्गेनाइजर और दर्शकों ने कहना शुरू किया-आपका ओपनर बहुत तेज मारता है
चांस मिलेगा क्या! तो हम करेंगे… इस एक वाक्य ने महेंद्र सिंह धौनी की किस्मत बदल दी. ये उन दिनों की बात है, जब धौनी ने जवाहर विद्या मंदिर में दाखिला लिया था. वर्ष था 1987. तब वह सिर्फ छह साल के थे. जब वह छठी कक्षा में पहुंचे, तब उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू किया. […]
चांस मिलेगा क्या! तो हम करेंगे… इस एक वाक्य ने महेंद्र सिंह धौनी की किस्मत बदल दी. ये उन दिनों की बात है, जब धौनी ने जवाहर विद्या मंदिर में दाखिला लिया था. वर्ष था 1987. तब वह सिर्फ छह साल के थे. जब वह छठी कक्षा में पहुंचे, तब उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू किया.
उन्हें बैडमिंटन खेलना भी पसंद था. लगातार अभ्यास के बाद वह बढ़िया गोलकीपर बन गये. जब धौनी सातवीं में पहुंचे, तब उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया. स्कूल के गेम टीचर केशव रंजन बनर्जी ने उन्हें (धौनी को) स्कूल क्रिकेट टीम में खेलने का ऑफर दिया. जब बनर्जी सर ने धौनी से पूछा कि क्या वह विकेटकीपिंग करना पसंद करेगा. धौनी ने जवाब दिया : चांस मिलेगा क्या! तो हम करेंगे… इसी के बाद धौनी विकेटकीपर बन गये.
विमान, तेज गति की बाइक्स व कार के हैं शौकीन
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को सुपरसोनिक विमान, तेज चलनेवाली बाइक्स व कार बहुत पसंद है. उनका बचपन का सपना आर्मी ज्वाइन करने का था, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी. तभी से ही उन्हें सुपरसोनिक विमान पसंद हैं. उनकी बाइक्स और कार की कलेक्शन शानदार है.
उनकी गैराज में विंटेज बाइक से लेकर सुपरबाइक्स भी हैं. उनकी मोटरसाइकिलों की संख्या 100 से अधिक है. इनमें कावासाकी निंजा एच2, हेलकैट, बीएसए, नॉर्टन विंटेज बाइक के अलावा कारों में करोड़ रुपये कीमत वाली हमर एच2, मित्सुबिशी पजेरो, स्कॉर्पियो भी शामिल हैं.
पहले दौरे में आर्मी बूट खरीदी
चंचल भट्टाचार्य ने बताया कि धौनी का बचपन से ही आर्मी के प्रति लगाव रहा है. 1997 की बात है. उनका चयन वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर-16 क्रिकेट के लिए राज्य (तत्कालीन बिहार) टीम में हुआ. उस समय वह पहली बार रांची से बाहर दौरे पर गये. टूर्नामेंट दिल्ली में खेला जा रहा था. वहां मैच के बाद समय मिलने पर साथी खिलाड़ियों ने शॉपिंग करने की सोची. साथ में धौनी भी गये. खिलाड़ियों ने बैट, पैड, टी-शर्ट खरीदे, लेकिन धौनी ने अार्मी बूट खरीदी.
आपका ओपनर बहुत तेज मारता है
आदिल हुसैन ने बताया कि 1998-1999 सत्र में झारखंड की टीम नाइट क्रिकेट खेलने लखनऊ गयी थी. रेलवे के खिलाफ मैच में झारखंड की टीम हार रही थी. तब विकेटकीपर धौनी को गेंदबाजी सौंपी गयी और झारखंड हारा हुआ मैच जीत गया. उस टूर्नामेंट में झारखंड चैंपियन बना. तब धौनी उतने मशहूर नहीं हुए थे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी देखकर ऑर्गेनाइजर और दर्शकों ने कहना शुरू कर दिया था कि आपका ओपनर बहुत तेज मारता है.
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