रोशनी का पर्व दीपावली आज पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनायी जायेगी. कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि, दिन रविवार को गृहस्थ और व्यापारी दोनों वर्गों के लोग मां लक्ष्मी की पूजा करेंगे. व्यापारी इस दिन पूजा कर बही-खातों को बदलते हैं, तो वहीं गृहस्थ प्रदोष काल में महालक्ष्मी की पूजा करेंगे. पंडित मार्कंडेय शारदेय के अनुसार दीवाली में गोधूलि लगन से आरंभ होनेवाली पूजा महानिशिथ काल अर्थात अर्द्धरात्रि तक की जाती है.
इस वर्ष प्रदोष काल यानी गोधूलि बेला 5.09 से 5.57 बजे तक महालक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है. शास्त्रों के अनुसार गोधूलि बेला और अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना सर्वोत्तम माना गया है. इस बीच की गयी पूजा सारी बाधाओं को दूर करती है. इस मुहूर्त में महिलाएं बच्चों व व्यापारियों के लिए पूजा करना उत्तम माना गया है.
वहीं, शास्त्रानुसार स्थिर लग्न में वृश्चिक, कुंभ, वृष व सिंह चार लगन पूजा के लिए सर्वोत्तम समय है. इसमें वृष लगन में शाम 6.35 से 8.29 बजे तक सर्वोत्तम मुहूर्त है. वहीं, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए सिंह लगन में पूजा करना भी उत्तम माना गया है, जो अर्द्धरात्रि 01.01 से 3.15 बजे तक है. तांत्रिक जगत व मंत्र सिद्धि के लिए यह पूजन का महत्वपूर्ण समय है. साथ ही अहले सुबह सोमवार को सूप बजा कर दरिद्र नारायण का निष्करण करें.
स्थिर लग्न के शुभ मुहूर्त
वृश्चिक लग्न: सुबह 7.47 से शाम 4.10 बजे तक (व्यापारी वर्ग)
धनु लग्न : दिन में 10.04 से दोपहर 12.10 बजे तक
कुंभ लग्न : दोपहर 01.35 से दोपहर 3.28 बजे तक
वृष लग्न : शाम 6.35 से 8.29 बजे तक ( व्यापारी वर्ग )
मिथुन लग्न : शाम 8.29 से 10.33 बजे तक
सिंह लग्न : रात्रि 01.01 से 3.15 बजे तक (व्यापारियों व तंत्र-मंत्र सिद्धि पूजा)
कमल के फूल और पीपल के पत्ते से करें उपासना
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग दीपावली में मां की आराधना की जाती है. ज्योतिष के अनुसार पुराणों में वर्णित है कि देवी लक्ष्मी की पूजा कमल के फूल, पीपल के पत्ते से करनी चाहिए. मां लक्ष्मी को कमलासना भी कहते हैं.
पीपल का पत्ता घर में लाएं
दीपावली के दिन एक पीपल का पत्ता तोड़कर घर में लाएं. ध्यान रखें पत्ता कटा-फटा हुआ न हो. इस पत्ते पर ‘ओम महालक्ष्म्यै नमः’ लिखकर पूजन स्थान पर रखें. इसके बाद जब शनिवार आये, तो पत्ते को पीपल की जड़ में रख दें और दूसरा पत्ता पूजा स्थल पर रखें, यह क्रिया जारी रखने से घर में समृद्धि आयेगी.
गोवर्धन पूजा कल
कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन, गोवर्धन पूजा व अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है. इस सोमवार को गोवर्धन पूजा होगी. इसे लेकर वैष्णव मंदिरों में विशेष व्यवस्था की गयी है. मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने भगवान इंद्र के अहंकार को दूर करने के लिए कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पहाड़ को सात दिनों तक उठाया था.