Holi Festival: होली का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है और इस समय बाजारों में इसको लेकर खूब रौनक है. गांव-गांव, शहर-शहर होलिका दहन की तैयारियां जोरों पर हैं. हर जगह लोग इस रंगोत्सव का इंतजार कर रहे हैं. जहां वृंदावन में होली की मस्ती अपने चरम पर है. इस पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं, जो इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं. आइए जानते हैं होली से जुड़े कुछ अनसुने और ऐतिहासिक किस्से, जो इस पर्व की पौराणिकता को और भी दिलचस्प बनाते हैं.
सतयुग में सबसे पहले बनाई गई होली
हिंदू पंचांग के अनुसार, होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह एक रंगोत्सव है. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि होली का पर्व सबसे पहले सतयुग में मनाया गया था, यानी करीब 39 लाख साल पहले. यह वह समय था जब भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया. उसी समय से होली मनाने की परंपरा शुरू हुई थी.
हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद का किस्सा
सतयुग में एक दैत्यराज हिरण्यकश्यप था, जो भगवान विष्णु का घोर विरोधी था. उसे ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त था, लेकिन वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता था और खुद को भगवान मानने लगा था. उसके पुत्र प्रह्लाद, जो भगवान विष्णु के भक्त थे, ने उसका विरोध किया. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को यह वरदान दिलवाया कि वह अग्नि में न जल सकती है. लेकिन जब होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने की कोशिश की, तो होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गए. इस घटना के बाद नगरवासियों ने उत्सव मनाया, जिसे ‘होली’ के नाम से जाना जाने लगा.
कामदेव और भगवान शिव का कथा
होलिका जलाने की एक और मान्यता है जो कामदेव और भगवान शिव से जुड़ी है. जब भगवान शिव तपस्या में लीन थे, तब कामदेव ने उन्हें आकर्षित करने के लिए पुष्प बाण चलाए. इससे भगवान शिव का ध्यान भंग हुआ और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी, जिससे कामदेव भस्म हो गए. उनकी पत्नी रति ने भगवान शिव से कामदेव को जीवित करने की प्रार्थना की, और अगले दिन भगवान शिव ने उन्हें पुनः जीवित किया. इस घटना को लेकर होलिका जलाने की परंपरा और रंगों का त्योहार मनाया जाता है.
महाभारत काल में होली
महाभारत काल में भी होली मनाने की एक विशेष कहानी है. युधिष्ठिर को प्रभु श्री कृष्ण ने एक कहानी सुनाई थी, जिसमें रघु के शासन में एक असुर महिला को मारने के लिए बच्चों को सूखी घास से ढेर लगाकर उसे जलाने के लिए कहा गया था. इसके बाद बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होली मनाई गई.
श्री कृष्ण के समय में होली
होली के साथ जुड़ी एक और प्रसिद्ध कहानी श्री कृष्ण के समय की है. कंस को यह खबर मिली थी कि श्री कृष्ण गोकुल में हैं, लेकिन वह यह नहीं जानता था कि वह कहां हैं. कंस ने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जो बच्चों को मारने के लिए उन्हें विषपान कराती थी. लेकिन श्री कृष्ण ने उसे मार डाला और इस खुशी में गोकुलवासियों ने होली मनाई. यह घटना भी होली से जुड़ी हुई मानी जाती है.
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