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बासंतिक नवरात्र (चैती दुर्गा) की कलश स्थापना करें 21 को
हिंदू नववर्ष उत्सव की तैयारी शुरू, रामनवमी होगी 28 को नववर्ष के राजा होंगे शनि, उथल-पुथल की भविष्यवाणी आसनसोल : चैत्र शुक्ल पक्ष 21 मार्च को वासंतिक नवरात्र (चैत्र नवरात्र) शुरू हो रहा है. इसी दिन हिंदू नववर्ष का उत्सव मनाया जायेगा. चैत्र नवरात्र की कलश स्थापना प्रात: काल एवं मध्याह्न् में अभिजीत मुहूर्त 11:36 […]
हिंदू नववर्ष उत्सव की तैयारी शुरू, रामनवमी होगी 28 को
नववर्ष के राजा होंगे शनि, उथल-पुथल की भविष्यवाणी
आसनसोल : चैत्र शुक्ल पक्ष 21 मार्च को वासंतिक नवरात्र (चैत्र नवरात्र) शुरू हो रहा है. इसी दिन हिंदू नववर्ष का उत्सव मनाया जायेगा. चैत्र नवरात्र की कलश स्थापना प्रात: काल एवं मध्याह्न् में अभिजीत मुहूर्त 11:36 से 12:24 बजे के बीच किया जा सकेगा. इसी दिन विक्रम संवत 2072 एवं कलियुग का 5117 वां वर्ष शुरू होगा. गौरी पूजन ध्वजा रोपण दुर्गा सप्तशती पाठ द्वारा धार्मिक कार्य शुरू हो जायेंगे. नववर्ष के राजा शनि एवं मंत्री मंगल होंगे. इससे नववर्ष उथल-पुथल भरा रहेगा.
आठ दिनों का होगा नवरात्र
स्थानीय शनि मंदिर के पुजारी पंडित तुलसी तिवारी ने बताया कि इसी दिन नया संवत 2072 शुरू हो रहा है. नवरात्र आठ दिन का ही है. 25 मार्च बुधवार को षष्ठी तिथि का लोप है. पांच और छह पूजा 25 मार्च को ही है. महानिशा पूजा, अष्टमी व्रत 27 मार्च को एवं रामनवमी एवं हवन पूजन 28 मार्च को है.
नवरात्र व्रत का पारण काशी पंचांग के अनुसार 29 मार्च को और मिथिला पंचांग के अनुसार 30 मार्च को होगा. इसी प्रकार विजया दशमी में भी अंतर है. काशी पंचांग के अनुसार विजया दशमी 29 मार्च को एवं मिथिला पंचांग के अनुसार 30 मार्च को है. इसलिए काशी एवं मिथिला पंचांग को मानने वाले श्रद्धालु इसी प्रकार व्रत का पूजन करेंगे. पंचमी सुबह 6:10 बजे है. इसके बाद षष्ठी का प्रवेश हो जायेगा.
इसलिए पांच और छह पूजा 25 मार्च को ही होगी. सप्तमी 26 को प्रात: काल से शुरू होगा. अष्टमी व नवमी पूर्णकाल है. दशमी भी पूर्णकाल है. 28 मार्च को महानवमी व्रत, त्रिशुलनी पूजा, दीक्षा ग्रहण, श्रीराम नवमी व्रत और हनुमद् ध्वजा दान किया जायेगा. 29 एवं 30 मार्च को विजया दशमी पर अपराजिता पूजन, जयंती धारण और नवरात्र व्रत का पारण एवं देवी विसजर्न किया जायेगा. उन्होंने बताया चैत्र का नवरात्र वासंतिक नवरात्र एवं अश्विनी माह का नवरात्र शारदीय नवरात्र है. एक संवत में चार नवरात्र होते हैं. चैत्र व अश्विनी माह के नवरात्र में ही आदिशक्ति भगवती दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है.
कलियुग का 5117 वां वर्ष शुरू
विक्रम संवत व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का महत्व 2072 विक्रम संवत चैत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च से नव संवत्सर का शुभारंभ हो रहा है. यह अत्यंत पवित्र तिथि है. इसी तिथि से पितामह ब्रrा ने सृष्टि निर्माण शुरू किया था. इसी तिथि को भगवान विष्णु मत्स्य अवतार में आये थे. इसी दिन राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी. उसे चिर स्थायी बनाने के लिए विक्रम संवत का शुभारंभ किया था.
चैती छठ 25 को
कद्दू भात के साथ चैती छठ 23 से शुरू होगा. उस दिन कद्दू भात होगा. चैती छठ का खरना 24 मार्च को, संध्या कालीन सूर्य अघ्र्य दान 25 मार्च को एवं 26 मार्च को प्रात: कालीन सूर्य षष्ठी अघ्र्य दान किया जायेगा.
अशांत रहेगा पूरा वर्ष
ज्योतिष गणना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नया संवत आरंभ होने के साथ-साथ इस वर्ष के राजा शनि हैं और मंगल वर्ष के मंत्री हैं. वर्ष भर इसके प्रभाव से आतंकी घटना, विस्फोट, अगिA कांड, पड़ोसी देशों से सीमा युद्ध जैसी परिस्थितियां बनी रहेगी. वृश्चिक राशि का होकर राजा शनि प्रजा के लिए भय कारक साबित होंगे. किसी बड़े भूकंप का भी दंश जनता को ङोलना पड़ेगा. राजा शनि और मंत्री मंगल का योग देश और जनता दोनों के लिए अनिष्टकारक है. इसके कारण दैविक प्रकोप प्राकृतिक आपदा और शत्रुओं के षड़यंत्र से देश को व्यापक क्षति होगी. राजनीतिक उथल-पुथल होगा.
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