असमय परे रहीम कहि, मांगि जात तजि लाज !!
ज्यों लछमन मांगन गए, परासर के नाज!!
अर्थात
कठिन परिस्थितियों में, जब प्राणों पर बन आयी हो, तब किसी से याचना करने में भी कोई बुराई नहीं है. जैसे वनवासकाल के कठिन दिनों में लक्ष्मण पराशर मुनि से अन्न-याचना करने गए तो वे याचक नहीं हो गए थे.