25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

संघ में समयानुकूल परिवर्तन की परंपरा

प्रत्येक बदलाव महत्वपूर्ण परिवर्तन ले कर आता है, जो कि समयानुकूल होता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मूल उद्देश्य तथा इसके गुरु भगवा ध्वज के अतिरिक्त सभी कुछ परिवर्तनीय है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक व्याख्यान माला में संघ के लचीलेपन के बारे में एक बार कहा था- ‘हमें संघ में समयानुकूल परिवर्तन करने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं हैं, क्योंकि संघ के संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने यह अनुमति पहले से दे रखी है.’

अभी हाल ही में संघ की सबसे बड़ी निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में चुनाव के बाद संघ में संगठनात्मक स्तर पर आये बदलाव चर्चा में हैं. इस बदलाव के तहत अपेक्षाकृत कम आयु के दत्तात्रेय होसबले को संघ का सरकार्यवाह बनाया गया है. संघ के सरकार्यवाह दिन-प्रतिदिन के कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं. यदि किसी संस्थान से इस जिम्मेदारी की तुलना करनी हो, तो मुख्य कार्यकारी अधिकारी का काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सरकार्यवाह करते हैं.

संघ के प्रमुख सरसंघचालक मित्र और मार्गदर्शक की भूमिका में रहते हैं. संघ में बाला साहब देवरस, जो संघ के तीसरे प्रमुख थे, ने सामूहिक निर्णय लेने की पद्धति विकसित की थी. संघ के दूसरे सरसंघचालक श्री माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य ‘गुरु जी’ के समय तक ‘एक चाल का अनुवर्तित्व’ का पालन होता था, अर्थात जो सरसंघचालक ने कह दिया, सभी स्वयंसेवकों को उसी का पालन करना है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रत्येक तीसरे वर्ष सरकार्यवाह का चुनाव किया जाता है. संघ की कार्यपद्धति की विलक्षणताओं में से एक आम सहमति का नियम है. संघ ने जब से अपना लिखित संविधान सरकार को दिया है, तब से अब तक कोई भी चुनाव छूटा नहीं है यानी प्रत्येक तीन वर्ष पर इस प्रक्रिया का अनुपालन होता रहा है. केवल 1975 में एक बार आपातकाल के दौर में चुनाव की प्रक्रिया नहीं हो पायी थी.

यह उल्लेखनीय है कि संघ के इतिहास में आज तक के सभी चुनाव आम सहमति से ही हुए हैं. यह एक उत्कृष्ट उपलब्धि है. प्रत्येक बदलाव महत्वपूर्ण परिवर्तन ले कर आता है, जो कि समयानुकूल होता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मूल उद्देश्य तथा इसके गुरु, भगवा ध्वज के अतिरिक्त सभी कुछ परिवर्तनीय है. विचार की प्राथमिकता होने के कारण ही किसी व्यक्ति को नहीं, बल्कि भगवा ध्वज को संघ में गुरु का स्थान प्राप्त है.

इस बार हुए परिवर्तन को भी पीढ़ीगत परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है. जब भय्या जी जोशी ने सरकार्यवाह के दायित्व को संभाला था, तब उनकी आयु 62 साल की थी. उस समय सह सरकार्यवाह के रूप में आये सुरेश सोनी भी लगभग उसी आयु के थे. अब इस चुनाव में दोनों व्यक्ति स्वतः अपनी आयु के कारण नयी पीढ़ी के लिए स्थान बना कर दायित्वमुक्त हो गये हैं. वर्तमान के सरकार्यवाह एक नयी कम आयु की टीम के साथ आये हैं. इस बार दो नये सह सरकार्यवाह तथा प्रचार प्रमुख की नियुक्तियां भी हुई हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नये सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले लंबे समय से विद्यार्थियों के बीच काम करते रहे हैं. कर्नाटक राज्य के शिवमोगा जिले में जन्मे दत्ताजी 1972 से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न जिम्मदारियों पर रहे. वर्ष 2003 तक विद्यार्थी परिषद में योगदान करने के बाद उन्होंने संघ में अनेक दायित्वों को कुशलता के साथ निभाया. अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर संघ के नये सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले कई भाषाओं के ज्ञाता हैं.

साथ ही, वे एक पत्रिका का संपादन भी कर चुके हैं. द विद्यार्थी परिषद में अपने दायित्व निर्वाह के दौरान दत्ताजी ने ‘वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टूडेंट एंड यूथ’ की स्थापना की थी, जो भारत में रहनेवाले विदेशी मूल के छात्रों का एक सशक्त सांस्कृतिक संगठन है.

विद्यार्थी परिषद तथा संघ की कार्य पद्धति में मूल अंतर गति का है. वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी का अधिकतर नेतृत्व विद्यार्थी परिषद से ही आता है. वर्तमान सरकार्यवाह की टीम में दो नये सह सरकार्यवाह भी हैं, जिनमें से एक अरुण कुमार लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर में प्रचारक रहे हैं तथा जम्मू-कश्मीर के विषय तथा आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में उनका गहरा अध्ययन है.

दिल्ली से चलनेवाले जम्मू-कश्मीर से संबंधित थिंक टैंक ‘जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र’ की स्थापना में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है. दूसरे सह सरकार्यवाह राम दत्त गणित में स्नातकोत्तर तथा स्वर्ण पदक विजेता हैं. वे पहले छत्तीसगढ़, मध्य भारत तथा फिर बिहार के क्षेत्र प्रचारक रहे. इस बार दायित्व संभालनेवाले नये नामों में एक नाम प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर का है, जो लंबे समय तक दत्तात्रेय होसबले के साथ विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे हैं.

वे हाल ही में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ के कारण चर्चा में रहे हैं. इसी प्रकार, भारतीय जनाता पार्टी से मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में लौटे रामलाल भी एक कुशल संगठक के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख का दायित्व दिया गया है.

दत्तात्रेय होसबले अगले तीन वर्ष तक संघ के सरकार्यवाह का दायित्व संभालेंगे. आगामी तीन वर्षों में कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम भी हैं, उदाहरण के लिए, 2024 के आम चुनाव की तैयारी व 2022 में देश की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उससे प्रेरित संगठन इन अवसरों के माध्यम से समाज के संगठन के अपने सतत कार्य को कैसे और गति प्रदान करते हैं व इन प्रयासों की दिशा व दशा कैसी होगी, आनेवाले तीन वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें