इन दिनों आदिवासियों का जनी शिकार का अभियान जारी है. जनी शिकार के नाम पर दूसरों के मवेशियों का शिकार करना उचित नहीं है. गरीब लोग कितने जतन के साथ मुर्गी और बकरियों को पालते हैं ताकि बेचकर कुछ पैसे बना सकें और अपनी रोजी रोटी का प्रबंध कर सके. जनी शिकार किसी के भी मवेशियों को मारने की इजाजत नहीं देता ओैर न सड़क पर पैसा मांगना इसमें शामिल हो सकता है. शिकार के लिए दूसरे गांव में जाकर वहां के पाहन या ग्राम प्रधान से मिलकर बैठक होती है और ग्राम प्रधान अपने गांव की तरफ से मवेशी भेंट स्वरूप देता है, यही शिकार का रिवाज है.
बरला मुंडा, इमेल से