अन्ना आंदोलन से उठी आम आदमी पार्टी (आप) के बारे में किसी को यह ख्याल ही न था कि वह दिल्ली में इतनी सीटें लायेगी. लोग सोचते थे कि यह बमुश्किल दो-चार सीट लायेगी. बड़ी पार्टियां तो इसका नाम तक नहीं लेती थीं. खुद केजरीवाल ने भी इसे प्रभुलीला ही माना है. शुरू में खुद केजरीवाल बढ़-चढ़ कर 47 सीटों का दावा करते थे, लेकिन कुल 28 सीटें ही आ पायीं, जिस पर ही वे खुश हो गये.
इस पार्टी के चमत्कार से ही डर कर सरकार जल्दी में मुद्दत से लटके लोकपाल विधेयक को ले आयी. यही नहीं, अन्य पार्टियां भी आप का अनुसरण करने लगी हैं. देश में एक भयंकर आक्र ोश और असंतोष की भूमिगत लहर जरूर थी जिसे कोई ठीक से आंक ही नहीं पाया. लगता है आज भी वही स्थिति ज्यों की त्यों बरकरार है. क्या इस बार भी आम आदमी पार्टी दिल्लीवाली सफलता दोहरायेगी?
वेद प्रकाश, ई-मेल से