इस पत्र के माध्यम से उन असामाजिक तत्वों का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं, जो होनहार विद्यार्थियों का बहुमूल्य समय बर्बाद कर रहे हैं. विद्यार्थियों की इंटर व मैट्रिक की परीक्षा नजदीक है, जिस पर उनका भविष्य निर्भर करता है. विद्या की देवी सरस्वती के नाम पर होनहार बच्चों से गल्ली-मोहल्लों में महीने भर चंदा इकट्ठा करवा कर, खुद पूजा-पाठ का संचालन कर, उच्च ध्वनि में अश्लील गाना बजा कर इनका मन भटकाना और विद्या की देवी सरस्वती को भी अपमानित करने में कोई कमी नहीं छोड़ते.
इन अपरिपक्व बच्चों का क्या दोष? लेकिन इन्हें तब पता चलता है जब इनका परीक्षा परिणाम आता है. उम्मीद के अनुसार परिणाम न आने पर वे पढ़ाई से विमुख होने लगते हैं और धीरे-धीरे चोरी-छिनतई, नशाखोरी जैसे असामाजिक कार्यो की ओर परिणत होने लगते हैं. अत: इससे बचें.
प्रकाश कुमार, पलामू