प्रभात खबर की एंकर स्टोरी पढ़ी़ यह दिल्ली की एक ट्रेवल एजेंसी के बारे में थी, जिसका नाम ‘खास’ है. यह एक ऐसी संस्था है जिसमें केवल नेत्रहीन और एसिड अटैक से पीड़ित महिलाएं काम करती हैं.
सिर्फ नाम से ही नहीं, काम से भी यह संस्था खास है. ऐसे लोग जो काम पर रखते वक्त हुनर के साथ चेहरा भी देखते हैं, उनके लिए यह एक सबक है कि हुनर का रूप से कोई लेना-देना नहीं है. ये महिलाएं ज्यादा लगनवाली भी होती हैं, क्योंकि ये जानती हैं कि जहां अधिकतर लोग उनसे कन्नी काटते हैं, वहीं किसी ने उन पर विश्वास किया है और ये उस विश्वास को टूटने देना नहीं चाहतीं.
सीमा साही, बोकारो