खुली, हरी-भरी, साफ-सुथरी और सुरक्षित सड़कें देश की जीवन रेखाएं और प्रगति की प्रतीक हैं. बड़े दुख की बात है कि देश की राजधानी दिल्ली में इस वर्ष बीते 15 जून तक 666 लोगों की मौतें हो चुकी हैं. कुछ एेसी ही स्थिति पूरे देश की है़ वास्तव में अाज सड़कों पर निकलना बेहद चिंता की बात है.
फुटपाथों पर अतिक्रमण, वाहनों की गलत पार्किंग, गलत साइड से वाहन चलाना, ट्रैफिक पुलिस व सीसीटीवी कैमरों का अभाव, राहगीरों के लिए उपयुक्त सुरक्षित सब-वे पुलों और फुटपाथों का अभाव, सड़क के तीव्र मोड़ों पर स्पीड ब्रेकरों व सचेतक चिह्नों का अभाव और खतरनाक जगहों पर सुरक्षा इंतजामों का न होना अादि प्रमुख हैं.
साथ ही बढ़ते वाहनों के हिसाब से सड़कों और विकेंद्रीकरण की नीति के साथ सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट प्रणाली का होना भी बहुत जरूरी है, जिस पर सरकार का कितना ध्यान है सभी के सामने है.
वेद प्रकाश, दिल्ली