पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश होगा, जहां पर छुट्टियों की झड़ी लगी रहती हैं. हो भी क्यों न! भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मो के लोग रहते हैं. मेरा छुट्टियों से ऐतराज होने का कारण सिर्फ इतना है कि छुट्टी की वजह से देश के विकास से जुड़े काम-काज पर असर पड़ता है.
दूसरे देशों में छुट्टियां कम होने की वजह से काम-काज के लिए ज्यादा समय मिलता है. भारत में अगर रविवार को मिला कर छुट्टियों की गणना की जाये तो कुल सौ से भी ज्यादा होंगी. और राजनीति तो जैसे इन अवसरों की राह ढूंढ़ती है. इस छुट्टी, बंदी के बीच देश की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने लगती है.
मेरी राय में सरकार की ओर से मंजूर की गयी सारी छुट्टियों को रद्द कर देना चाहिए. सिर्फ राष्ट्रीय छुट्टियां ही दी जानी चाहिए, और उनकी भी संख्या साल भर में पांच से दस ही होनी चाहिए.
पालुराम हेंब्रम, सालगाझारी