राज्य के बड़े शहरों की सड़कें दिन-प्रतिदिन खतरनाक बनती जा रही हैं. गाड़ियां भीड़ भरे रास्ते भी तेजी से पार करती हैं. चाहे वह दोपहिया हो, तीन पहिया या चार पहिया वाहन, यही नहीं भारी वाहन भी ओवरटेक करने में व्यस्त रहते हैं.
कम से कम भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर ‘गो स्लो’ और ‘स्पीड लिमिट 30’ लिखा जा सकता है़ रात के समय मुख्य मार्गों पर प्रकाश की व्यवस्था तो रहती है, लेकिन गली-मोहल्लों में अंधेरा पसरा रहता है, जहां अनहोनी की आशंका बनी रहती है़ 10 साल पहले तक सड़क इतने खतरनाक नहीं थे.
तब हाइस्पीड बाइक या सिडान कारें नहीं थी़ अभी समय बदला है़ हर 10 गाड़ियों में छह हाइस्पीड हैं. सड़कों पर डिवाइडर नहीं है, गाड़ी वाले ट्रैफिक नियम नहीं मान रहे हैं, गाड़ियों की हेडलाइट पर आधे हिस्से में काला नहीं है और प्रेशर हॉर्न भी खुल्लम-खुल्ला बजाये जा रहे हैं. क्या इसे देखनेवाला कोई नहीं है?
चिरंजीवी साहनी, जमशेदपुर