।। रजनीश आनंद।।
(प्रभात खबर.कॉम)
ब्लू आइज हिप्नोटाइज तेरी करती है मैन्नू/ आई स्वेर, छोटी ड्रेस में बॉम लगती मैन्नू.. घबराइए मत, मैं कोई हनी सिंह की फैन नहीं हूं कि आपको उनके सुपरहिट गाने के बोल सुनाने लगूं. अरे भाई मैं तो ऐसे भी आउटडेटेड हो गयी हूं. अगर आपको विश्वास न हो तो मैं बताऊं कि जहां-तहां यह गाना सुन तो लेती थी, लेकिन इसकी धुन के अलावा कुछ समझ नहीं पाती थी. एक दिन शाम को जब घर पहुंची, तो देखा, मेरा बेटा पलंग पर लेटे-लेटे कुछ गुनगुनाने के साथ-साथ थिरक भी रहा है. रोज वह मुझे देखते ही लपक कर सामने आता था. लेकिन आज वह अपनी धुन में मस्त है. मैंने लाड दिखाते हुए पूछा, क्या सुन रहा है मेरा सोना. लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की. उसके कान में ईयरफोन जो लगा था. जब मैंने उसे इशारा किया, तो उसने ईयरफोन निकालते हुए कहा, आ गयी मां तुम. मैंने पूछा, क्या सुन रहा है मेरा बेटा. उसने जवाब में वही बोल दुहरा दिये जो अब तक मेरी समझ से परे थे. मेरे कान खड़े हो गये. सात साल का मेरा बेटा मुझे यह बता रहा था कि ‘कत्ल करे तेरा बॉम फिगर’, लेकिन उससे बहस करना या उसे फटकारना मैंने उचित नहीं समझा.
एक चिंता की लकीर मेरे चेहरे पर आ गयी कि जिस उम्र में बच्चे के दूध के दांत टूटने शुरू होते हैं, उस उम्र में अगर वह इस तरह के गानों को सुन कर बड़ा होगा, तो किशोरावस्था तक उसकी क्या हालत होगी? मैं इसी सोच में थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई. सामने मेरे परममित्र शर्मा जी थे. वे बड़े खुश नजर आ रहे थे. मुझे देखते ही बोल पड़े, मोहतरमा लगता है सत्ता सुख अब दूर नहीं. अंतत: टोपीवालों को हमने टोपी पहना ही दी. मैंने जवाब दिया, आप सत्तामोह में अति आतुर हो रहे हैं शर्माजी. पहले उन्हें सरकार बनाने की घोषणा तो करने दें. मेरे निगेटिव रिस्पांस से शर्माजी खफा हो गये. बोले, यही बात आपकी अच्छी नहीं लगती. कैसी मित्र हैं, कम से कम खुश होने का मौका तो तलाशने दीजिए? आप तो काली बिल्ली बन कर मेरी खुशियों का रास्ता काटने पर तुली हैं. इस बार मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और चाय की प्याली उन्हें थमा दी. मुझे चिंतित देख कर शर्मा जी ने चुटकी ली, क्या हुआ मैडम, आपको भी सत्ता की चिंता हो गयी क्या?
मैंने जवाब दिया- नहीं, मैं तो पुत्र मोह में हूं? उन्होंने सवाल किया, ऐसा क्या हो गया भला? मैंने उन्हें पूरा वाकया बताया. बोले- अरे मैडम आप भी न, नाहक तिल का ताड़ करती रहती हैं. बच्चा है. गाने के बोल गुनगुना लिये, तो कौन-सी आफत आ गयी. सही में आप रूढ़िवादी हैं, प्रगतिशीलता का कुछ तो परिचय दीजिए. अरे भाई आपको तो खुश होना चाहिए कि आपका बेटा अभी से हिप्नोटाइज करने के गुर सीख रहा है. वैसे भी सत्ता सुख के लिए इस गुर का होना बहुत जरूरी है. अरे ठंड रखिए और प्रगतिशीलता के गुर अपने बेटे से ही सीख लीजिए..