बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने एक अप्रैल, 2016 से राज्य में नशाबंदी का निश्चय किया है. सुन कर अच्छा तो लगता है, लेकिन साथ ही साथ मन में यह प्रश्न भी उठता है कि क्या इस तरह की नशाबंदी हमारे राज्य झारखंड में संभव नहीं है? हां, संभव है. लेकिन, कैसे? आज झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इन चीजों का खूब प्रचलन है. हर हाट-बाजार और मंडियों में सरेआम ऐसी चीजों की बिक्री की जाती है. झारखंड ही नहीं कई राज्यों में ऐसी शराब आसानी से लाेग अपने घरों में भी बना लेते हैं.
ऐसे में यह हमारे लिए और बड़ी चुनौती हाे जाती है. इस स्थिति में जितना महत्वपूर्ण सरकार का फैसला है, उससे कई गुना महत्वपूर्ण इस फैसले में लोगों की भागीदारी है. जब तक सरकार सख्त कानून नहीं बनाती, पेशे में जुड़े लोगों को रोजगार मुहैया नहीं करा देती और लोगों को जागरूक नहीं करती, तब तक झारखंड में नशाबंदी संभव नहीं हो सकता.
-यश राज िसंह, पश्चिम सिंहभूम