राजनीतिक पटल पर भारत रत्न को लेकर महाभारत छिड़ गयी है. इसकी शुरुआत सचिन तेंडुलकर को सम्मान देने के बाद कुछ राजनीतिक पार्टियों, विशेषकर भाजपा ने की है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सचिन तेंडुलकर को भारत रत्न दिये जाने के कदम की सराहना की और कहा कि वह इसके हकदार थे. साथ ही, उन्होंने यह सवाल उठाया कि अटल बिहारी वाजपेयी को अब तक यह सम्मान क्यों नहीं दिया गया?
इसी तरह, एक बहस यह भी है कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को यह सम्मान सचिन से पहले या सचिन के साथ क्यों नहीं दिया जा रहा? एक बार फिर ग्लैमर से भरे एक खेल ने जमीन से जुड़े खेल हॉकी को ठग लिया. तेंडुलकर को पुरस्कार मिलने से हमें कोई गिला नहीं है, लेकिन ध्यानचंद को भी इस पुरस्कार से सम्मानित करना चाहिए. भारत सरकार को इस बात पर जरूर गौर करना चाहिए. राहुल मिश्र, डोरंडा, रांची