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गौरवान्वित हुआ झारखंड

आज झारखंड की धरती एक बार फिर गौरवान्वित महसूस कर रही है. जब झारखंड के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का का शहादत दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. 44 वर्षों के बाद ही सही, लेकिन उस परमवीर सपूत की पवित्र मिट्टी पाकर आज लांस नायक अल्बर्ट एक्का के पैतृक […]

आज झारखंड की धरती एक बार फिर गौरवान्वित महसूस कर रही है. जब झारखंड के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का का शहादत दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है.
44 वर्षों के बाद ही सही, लेकिन उस परमवीर सपूत की पवित्र मिट्टी पाकर आज लांस नायक अल्बर्ट एक्का के पैतृक गांव के साथ-साथ पूरा झारखंड गौरवान्वित है. यह एक वीर सैनिक का उचित सम्मान है. उनके पवित्र अवशेष को लाने में योगदान देनेवाले सभी व्यक्ति, सरकार समेत सभी धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने आज हमें भारत माता के वीर सपूत का एक बार फिर सम्मान करने का सुयोग्य अवसर दिया है.
सैनिकों के बलिदान की यह धरती हमेशा ऋणी है. चाहे वह 1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध हो, 1962 का भारत-चीन का युद्ध हो या फिर 1999 का करगिल युद्ध. हर बार हमारे इन जांबाजों ने अपनी माटी का कर्ज चुकाया है. इनके बलिदान को आंका जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
आज अगर हम अपने घरों में सुरक्षित हैं, तो मात्र इनकी ही बदौलत. ये सैनिक सीमा पर चौकस रह कर दिन रात हमारी रक्षा करते हैं. चाहे वह जाड़े की कंपकपाती ठंड भरी रात हो या फिर गर्मी की कड़कड़ाती धूप. इन्हें मौसम की परवाह नहीं है.
बस अपने वतन, अपनी मिट्टी की परवाह है. अपने वतन की तरफ उठनेवाली हर बुरी नजर को हमारे सैनिक रोक पाने में सक्षम हैं. इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने वीर सपूतों का सम्मान करें, जिनका एकमात्र मकसद देश की रक्षा करना होता है, जिन्होंने हमारी सुरक्षा और अपने देश की खातिर खुद को कुरबान तक कर दिया.
-कन्हाई, रांची

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