पेरिस में पर्यावरण को लेकर 190 देशों के शीर्ष नेताओं का सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए सौर ऊर्जा को प्रयोग में लाने की बात की गयी.
यह कहना जितना आसान है, अमल में लाना उससे कहीं अधिक मुश्किल. यह मानी हुई बात है कि जब विज्ञान चरम पर होता है, तब मानव को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है. समय-समय पर प्रकृति द्वारा पैदा की जानेवाली भयावह स्थिति से निबटने के लिए फिलहाल दुनिया के किसी भी देश के पास पर्याप्त उपाय नहीं है.
आम तौर पर देखा यह जा रहा है कि इस सम्मेलन में भी लोग जिम्मेदारी लेने से कतरा रहे हैं. एक देश दूसरे देशों पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. इससे पर्यावरण का संरक्षण नहीं हो सकता. इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए.
-महावीर साहू, रांची