जयराम रमेश जी ने उसी परंपरा का पालन करते हुए राहुल गांधी की तारीफ की है, जो कि हमेशा से चलती आ रही है. एक तरह से उन्होंने गांधी परिवार के प्रति अपनी वफादारी का सबूत दिया है. लेकिन मेरा मानना है कि मोदी की आलोचना उनकी और उनके जैसे वरिष्ठ कांग्रेसियों की हताशा का परिचायक है. यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि कांग्रेस में रह कर किसी का भी कद गांधी परिवार से बड़ा नहीं हो सकता है.
यह राजतंत्र नहीं, तो और क्या है? भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टियों को छोड़ कर सभी पार्टियां किसी न किसी परिवार की संपत्ति हैं. कांग्रेस में सोनिया के बाद राहुल-प्रियंका, सपा में मुलायम के बाद अखिलेश, राजद में लालू के बाद राबड़ी, डीएमके में करुणानिधि के बाद स्टालिन, नेशनल कांफ्रेंस में फारूक अब्दुल्ला के बाद उमर, यह लंबी फेहरिस्त है. जो लोग अपने परिवार से आगे नहीं सोचते, वे देश के बारे में क्या सोचेंगे?
दिलीप कुमार मिश्र, गढ़वा