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सामाजिक सौहार्द्र पर मुस्तैद हो प्रशासन
इस समय देश के हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. हर ओर सामाजिक एकता विखंडित होती नजर आ रही है. छोटी-छोटी सी बात पर खून-खराबे की घटना का घटित होना आम हो गया है. इन घटनाओं में कोई अपना बेटा खो रहा है, तो कोई अपना पिता. ऐसे में चिंता का विषय यह है कि क्या […]
इस समय देश के हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. हर ओर सामाजिक एकता विखंडित होती नजर आ रही है. छोटी-छोटी सी बात पर खून-खराबे की घटना का घटित होना आम हो गया है. इन घटनाओं में कोई अपना बेटा खो रहा है, तो कोई अपना पिता. ऐसे में चिंता का विषय यह है कि क्या देश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर होनेवाली इस प्रकार की घटनाओं की जानकारी सरकार को नहीं है?
सवाल यह भी पैदा होता है कि आखिर देश में इस प्रकार के माहौल को पनपने ही क्यों दिया जा रहा है? यदि देश में सामाजिक सौहार्द्र पर कुठाराघात करनेवाली इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं, तो कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन अपने काम को जिम्मेदारीपूर्वक करने में नाकाम साबित हो रहा है.
देखा यह भी जा रहा है कि प्रशासनिक चूक की वजह से होनेवाले सामाजिक दंगों में निर्दोषों की जान जा रही है. बात यह भी है कि आखिर इस देश में इस प्रकार से खून-खराबा कब तक चला रहेगा?
-संदीप कुमार, धनबाद
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