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ज्यादा घातक है आर्थिक असमानता
21वीं सदी को किस चीज ने आकृत किया है? इस प्रश्न का फौरी जवाब मार्क्सवाद का ढह जाना है.आज उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण का युग है. यह स्पष्ट है, पूरे विश्व में भोगवाद व पूंजीवाद का बोलबाला है. मार्क्स का वर्गहीन समाज व समानता के सिद्धांत की नियति ही खराब है. गरीबी-अमीरी की खाई बढ़ती […]
21वीं सदी को किस चीज ने आकृत किया है? इस प्रश्न का फौरी जवाब मार्क्सवाद का ढह जाना है.आज उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण का युग है. यह स्पष्ट है, पूरे विश्व में भोगवाद व पूंजीवाद का बोलबाला है.
मार्क्स का वर्गहीन समाज व समानता के सिद्धांत की नियति ही खराब है. गरीबी-अमीरी की खाई बढ़ती ही जा रही है. आपसी सामंजस्य में भी कमी है. पूंजीवाद तो निजीकरण पर टिका है.
इसी से एक नया वर्ग का निर्माण होता है, जो परोक्ष शोषण से पूंजी जमा करता है. आज की सामाजिक संरचना यह दर्शाती है कि धन-संपदा के आधार पर ही सामाजिक मान-मर्यादा या प्रतिष्ठा मिलती है.
वही लोग नीति नियामक बनते है. फिर वैसे लोग आम लोगों के लिए कैसी योजना बनायेंगे यह भी स्पष्ट है. समाज का वर्गीकरण कभी खत्म नहीं होगा, लेकिन आर्थिक असमानता ज्यादा घातक है.
मनोज आजिज, जमशेदपुर
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