23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दुष्कर्मी से शादी नहीं है समाधान

क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार पिछले दिनों मद्रास हाइकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में एक फैसला दिया था, जिसमें पीड़िता से कहा गया था कि वह इस मामले में समझौता कर ले. दुष्कर्मी को जमानत भी दे दी गयी थी. दुष्कर्मी ने पीड़िता से विवाह का प्रस्ताव भी रखा था, जिसे लड़की ने खारिज कर दिया. […]

क्षमा शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार
पिछले दिनों मद्रास हाइकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में एक फैसला दिया था, जिसमें पीड़िता से कहा गया था कि वह इस मामले में समझौता कर ले. दुष्कर्मी को जमानत भी दे दी गयी थी. दुष्कर्मी ने पीड़िता से विवाह का प्रस्ताव भी रखा था, जिसे लड़की ने खारिज कर दिया. इस दुष्कर्म के परिणामस्वरूप जन्मी बच्ची अब छह साल की है. उस समय पीड़िता की उम्र मात्र चौदह वर्ष थी.
इस घटना के बाद उसे जिस तरह से अपने परिवारजनों और समाज के लोगों का तिरस्कार और अपमान ङोलना पड़ा, उसे वह कैसे भूल सकती है? वह अपनी बेटी को इस बारे में जरूर बतायेगी कि उसका पिता दुष्कर्मी है. दुष्कर्मी को सजा मिलनी चाहिए, उससे वह विवाह तो कभी भी नहीं करेगी. शादी करने से तो उसके अपराध को समाज की स्वीकृति मिल जायेगी. लड़की की हिम्मत की दाद देनी चाहिए, जिसने इतनी मुसीबतें ङोल कर भी अपराधी से समझौता नहीं किया और न ही उसे माफ किया.
अभी सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक दुष्कर्म के मामले में फैसला देते हुए लगभग इस लड़की की बात की ताईद ही कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाइकोर्ट के निर्णय की कड़ी आलोचना भी की. माननीय न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता और दुष्कर्मी के बीच किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए, न ही दोनों के बीच शादी करा कर मामले को खत्म माना जाना चाहिए. दुष्कर्म किसी महिला की गरिमा के खिलाफ एक गंभीर अपराध है, जो उसे तन-मन से तोड़ कर रख देता है. इसकी खौफनाक यादों को वह कभी नहीं भूलती.
हमारे समाज की स्त्री विरोधी मानसिकता देखिए कि उसे लगता है कि अगर किसी औरत के साथ एक बार किसी ने दुष्कर्म कर दिया, तो वह औरत जिंदा रहने लायक नहीं बची. यानी अपराध जिसने किया था, उसके मुकाबले सजा उसे मिलेगी, जो निदरेष है.
इसीलिए अकसर पंचायतें लड़कियों को फरमान सुनाती हैं कि जिसने उसके प्रति यह अपराध किया है, वह उससे शादी कर ले. कुल भावना यह भी होती है कि दुष्कर्मी जैसे उस लड़की पर अहसान कर रहा हो, क्योंकि अब तो उससे कोई शादी करेगा नहीं. थानों में भी ऐसे मामले देखने में आते हैं, जहां पुलिसवाले भी दोनों के बीच समझौता कराके शादी करा देते हैं. अकसर लड़की के घर वाले भी इसी में अपनी भलाई समझते हैं कि वे बलात्कारी से शादी करके लड़की से मुक्ति पायें.
मान लीजिए, कोई लड़की किसी लड़के को लिफ्ट नहीं देती है, उसके प्रेम निवेदन को अस्वीकार कर देती है, तो क्या लड़का उस लड़की के साथ दुष्कर्म करे, क्योंकि उसे मालूम है कि अंतत: फैसला उसी के पक्ष में होगा और लड़की को उससे शादी करनी ही पड़ेगी?
ऐसे प्रसंगों में अदालतों ने लड़कियों को भी बुरी तरह से फटकारा है.कहा है कि वे इस तरह के अपराध को ङोलने के बाद अगर समझौता करती हैं, तो न्यायिक प्रक्रिया और जांच प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े होते हैं. उन्हें दुष्कर्म जैसे कृत्य की गंभीरता को समझना चाहिए. साथ ही समाज को भी चाहिए कि जो लड़कियां पहले ही सतायी जा चुकी हैं, उन्हें और अधिक सताये जानेवाले फैसले न सुनाएं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें