प्राथमिक/प्रारंभिक शिक्षा के सार्वजनीकरण एवं गुणात्मक विकास के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 2002 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी प्रा/म विद्यालयों में पारा शिक्षकों की नियुक्ति संबंधित विद्यालयों की ग्राम शिक्षा समितियों के माध्यम से किया गया.
शिक्षा परियोजना द्वारा उनका मानदेय हजार रुपये मात्र था. यह नाममात्र रकम थी, फिर भी उस समय बच्चों की पढ़ाई का स्तर बेहतर था. लेकिन वर्तमान समय में जब पारा शिक्षकों का मानदेय काफी बढ़ गया है, तो शिक्षा का स्तर गिर रहा है.
यह बात भी सत्य है कि महंगाई के हिसाब से यह राशि कम है और उनका मानदेय बढ़ाने का आंदोलन भी सही है, पर इसका खमियाजा विद्यालय में पढ़नेवाले बच्चों को भुगतना पड़े, तो यह नाइंसाफी होगी.
शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी चुनावी लाभ के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्किशिक्षकों द्वारा बच्चों के लिए किये गये बेहतर कार्य के लिए होनी चाहिए.
(मो.सलीम, बरकाकाना)