रांची सदर अस्पताल को आउटसोर्स करने की तमाम कोशिशें विफल होने के बाद आखिरकार राज्य सरकार ने इसे खुद संचालित किये जाने की प्रतिबद्धता जाहिर की है. साथ ही इसे अत्याधुनिक और सुविधा संपन्न बनाने के लिए हर संभव कदम उठाने की बात मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में कही है.
किसी भी जिले में आम लोगों की स्वास्थ्य सेवा की सबसे बड़ी उम्मीद सदर अस्पताल होती है. लेकिन राज्य के तमाम सदर अस्पताल मानवीय और मशीनी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. कुछ जिलों में सदर अस्पताल की इमारतें जरूर खड़ी हो गयी हैं, लेकिन व्यवस्था खड़ी नहीं हो पा रही. किसी भी कल्याणकारी राज्य में स्वास्थ्य और शिक्षा रीढ़ की तरह होते हैं. ऐसे में सदर अस्पताल के संचालन के लिए सरकार ने जो प्रतिबद्धता जाहिर की है वह प्रशंसनीय है.
पर यह तभी सार्थक होगा, जब पूरी सरकारी मशीनरी इस दिशा में सुचारु ढंग से काम करे. बजट में हम स्वास्थ्य को तरजीह दें. इसके आधारभूत ढांचे के विकास पर ध्यान दें. इसके लिए विशेषज्ञ भरती किये जायें. जाहिर है कि रांची में सदर अस्पताल की व्यवस्था यदि अच्छी होती है, तो रिम्स पर पड़ रहा मरीजों की संख्या का दबाव भी कम हो पायेगा, जिसका लाभ रिम्स की सुव्यवस्थित करने में भी मिलेगा. यदि रांची सदर अस्पताल को हम सभी जिलों के सदर अस्पतालों का रेफरल अस्पताल बना पायें तो रिम्स को विशेषज्ञ अस्पताल के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी. इसलिए रांची सदर अस्पताल का मास्टर प्लान ऐसा होना चाहिए जो राज्य की स्वास्थ्य जरू रतों को पूरा कर सके. उसमें सभी महत्वपूर्ण विभाग हों, उसमें सक्षम डॉक्टर हों, पर्याप्त संख्या में बेड हों, पारा मेडिकल स्टाफ हो. देश के अच्छे और सस्ती सुविधा मुहैया करानेवाले अस्पतालों, जैसे सीएमसी वेल्लोर, के अनुभवों और प्रबंधन को इस मास्टर प्लान में शामिल किया जाना चाहिए. अभी स्वास्थ्य पर खर्च होने वाली एक बड़ी राशि राज्य में बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं होने के कारण दूसरे राज्यों खासकर दक्षिण के राज्यों में चली जा रही है. यदि हम राज्य में ही बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया करा पायें तो मरीजों की परेशानी भी कम होगी और राज्य की प्रगति को मजबूती भी मिलेगी.