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खादी, खाकी के बाद गेरुआ भी दागदार

जिस तरह पांच दशकों से खादी धारण करनेवाले राजनीतिज्ञों ने भ्रष्टाचार फैलाया, जिस तरह उनका रहन-सहन, शान-ओ-शौकत में बदल गया है, उससे स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार फैलाने में 50} योगदान राजनीतिज्ञों का ही है. उसके बाद 23} के साथ पुलिसकर्मियों का स्थान है. लेकिन जिस तरह राजनीतिज्ञों ने भ्रष्टाचार फैलाया, तो आम आदमी खादी पहननेवालों […]

जिस तरह पांच दशकों से खादी धारण करनेवाले राजनीतिज्ञों ने भ्रष्टाचार फैलाया, जिस तरह उनका रहन-सहन, शान-ओ-शौकत में बदल गया है, उससे स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार फैलाने में 50} योगदान राजनीतिज्ञों का ही है. उसके बाद 23} के साथ पुलिसकर्मियों का स्थान है.

लेकिन जिस तरह राजनीतिज्ञों ने भ्रष्टाचार फैलाया, तो आम आदमी खादी पहननेवालों से नफरत करने लगा है, उसी तरह पुलिस की वर्दीवालों से भी. ठीक इसी तरह अब नित्य नयी घटनाएं घट रही हैं, जिससे गेरुआ या सफेद वस्त्र धारण करने वाले कथावाचक भी घृणा के पात्र बनते जा रहे हैं. ऐसे लोग ‘सादा जीवन उच्च विचार’ में भरोसा नहीं करते. देश में आज ऐसे लोगों ने अपने काले कारनामों से अपार धन-संपत्ति अजिर्त कर ली है. सरकार को एक कानून बना कर सबकी आय से अधिक संपत्ति जब्त कर लेनी चाहिए.
डॉ भुवन मोहन, हिनू, रांची

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