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चाक-चौबंद नहीं हमारा आपदा प्रबंधन

प्राकृतिक आपदा से जुड़ी जानकारियां हम समय से पूर्व क्यों नहीं हासिल कर पाते? आपदा के समय सरकारी अमला असहाय क्यों हो जाता है? जब हमें भाग्यभरोसे ही रहना है और स्वयं के बल पर आपदा प्रबधंन करना है, तो फिर सरकार आपदा प्रबंधन के नाम पर अरबों-खरबों रुपये खर्च ही क्यों कर रही है? […]

प्राकृतिक आपदा से जुड़ी जानकारियां हम समय से पूर्व क्यों नहीं हासिल कर पाते? आपदा के समय सरकारी अमला असहाय क्यों हो जाता है? जब हमें भाग्यभरोसे ही रहना है और स्वयं के बल पर आपदा प्रबधंन करना है, तो फिर सरकार आपदा प्रबंधन के नाम पर अरबों-खरबों रुपये खर्च ही क्यों कर रही है?
हमारी आपदा सूचनाएं कितनी असहाय, कितनी कमजोर और कितना गैरजिम्मेदाराना हैं, इसका प्रमाण हमें पूर्व में आयी प्राकृतिक आपदाओं में देखने को मिला. प्रबंधन की हमारी तैयारियां कमजोर और लचर होने के साथ ही दिशाहीन भी दिखायी दीं.
झारखंड में जब भी कोई आपदा आयी, तो बचानेवाला कोई नहीं आया. राज्य में अब तक आपदा प्रबंधन प्राधिकार का प्रशासनिक ढांचा भी अस्तित्व में नहीं आया है. अगर राज्य में आपदा आयी, तो बचाने वाला कोई नहीं है.
पूनम गुप्ता, मधुपुर

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