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खेल को खेल की भावना से ही देखें
हाल ही में विश्व कप क्रिकेट समाप्त हुआ. भारत लगातार प्रारंभिक मैच जीत कर भी फाइनल में नहीं पहुंच सका. दर्शक तथा खेल प्रेमियों को काफी निराशा हुई. कहीं टीवी टूटा, तो कहीं टीम के प्रति गुस्से का इजहार किया गया. भारतीय कप्तान के घर के सामने आक्रोशित लोगों ने प्रदर्शन भी किया. प्रशासन को […]
हाल ही में विश्व कप क्रिकेट समाप्त हुआ. भारत लगातार प्रारंभिक मैच जीत कर भी फाइनल में नहीं पहुंच सका. दर्शक तथा खेल प्रेमियों को काफी निराशा हुई. कहीं टीवी टूटा, तो कहीं टीम के प्रति गुस्से का इजहार किया गया.
भारतीय कप्तान के घर के सामने आक्रोशित लोगों ने प्रदर्शन भी किया. प्रशासन को सुरक्षा की व्यवस्था करनी पड़ी. हमें यह समझना होगा कि खेल तो आखिरकार खेल ही होता है. क्या इसे हम खेल की भावना से नहीं देख सकते? एक टीम के हारने के बाद ही तो दूसरी टीम जीतती है.
जीत-हार खेल का ही हिस्सा है. क्या हम हार को भी जीत की तरह स्वीकार नहीं कर सकते? इस बार कई दिग्गज टीम तो लीग और क्वार्टर फाइनल में ही घुलट गये. इसलिए मेरा मानना है कि खेल को खेल की भावना से ही देखा जाना चाहिए.
उदय चंद्र, रांची
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