राकेश कुमार
प्रभात खबर, रांची
जीतनराम मांझी से तो नीतीश जी ने निबट लिया, लेकिन परीक्षाओं में हो रही चोरी की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा उनके पसीने छुड़ा रही है. अब तो काबिल से काबिल बिहारी भी ‘माइ नेम इज खान’ की तर्ज पर सफाई देता घूम रहा है, ‘‘आइ एम अ बिहारी, एंड आइ एम नॉट ए चीटर’’ बीबीसी पर भी इस बारे में रिपोर्ट आने के बाद मामला इंटरनेशनल हो गया है.
देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बिहारी फैले हुए हैं और अपनी मेहनत व लगन के बूते अपनी पहचान बना रहे हैं. बिहार से नकल की जो तसवीरें आ रही हैं, उन तसवीरों ने एकाएक उनकी प्रतिभा पर सवालिया निशान लगा दिया है. सुबह भाभी के यहां पहुंचा तो वहां भी इसी विषय पर चाय पर चर्चा छिड़ गयी. वह बोलीं, ‘‘ये चोरी का सिस्टम कोई नया तो है नहीं. कितने ही लड़के-लड़कियों ने इन सबके बीच ही इम्तिहान पास किया और वे आज अच्छी जगहों पर हैं.
हां, इस बार मीडिया में इसकी रिपोटिंग कुछ ज्यादा ही हो गयी है.’’ उनको बीच में ही टोकते हुए मैंने चुटकी ली, ‘‘कहीं आपका बेड़ा भी तो इसी सिस्टम से पार नहीं हुआ है?’’ इतना सुनते ही वह जोर से बोलीं, ‘‘आपको और कौनो नहीं मिलता है, जो सब कुछ हमीं से जोड़ देते हैं?’’ तपाक से भैया ने मेरा साथ दिया, ‘‘हमको तो यही लगता है.
उस समय मीडिया का जाल इस तरह फैला होता, तो शायद इनका भी फोटो टीवी पर देखने को मिल जाता.’’ हम सभी इस हंस पड़े. हमारी श्रीमतीजी ने भाभी का गुस्सा शांत करने के लिए कहा, ‘‘अरे! ये तो ऐसे ही मजाक कर रहे हैं. लेकिन नीतीश जी को इस मसले का समाधान ढूंढ़ना ही पड़ेगा, नहीं तो पूरी दुनिया में ‘बिहारी’ सुनते ही लोग बोल पड़ेंगे- चोरी करके पास किया होगा.’’ भाभी बोलीं, ‘‘जब वहां तैनात पुलिस अपनी कमाई में लगी रहेगी तो मुख्यमंत्री क्या कर लेंगे?
हर कोई कमाने में लगा है, तो पुलिस ही मौका क्यों छोड़े?’’ इस जवाब के बाद मैं यादों में खो गया. पिताजी बताया करते थे कि उनके जमाने में कितनी कड़ाई से परीक्षाएं हुआ करती थी. पकड़े जाने पर कैसे-कैसे दंड मिला करते थे. तब बुजुर्गो व शिक्षकों को कितना सम्मान दिया जाता था. आज तो चोरी और उस पर सीनाजोरी का प्रचलन हो गया है.
राज्य के शिक्षा मंत्री हास्यास्पद बयान दे रहे हैं. पता नहीं क्या साबित करने पर तुले हैं. मुख्यमंत्री जी सिर्फ बिहारी गुणगान में लगे हैं, वो भी चोरी के इतना स्पष्ट फोटो और विडियो देखने के बाद! अभी और भी बातें मन में चल ही रही थीं कि भाभीजी ने फरमाया, ‘‘बिहार में ओपन बुक सिस्टम कर देना चाहिए. स्कूल में पढ़ाई तो होती नहीं, फिर चोरी रोकने का क्या हक?’’ हमने कहा, ‘‘आपने तो मन की बात कह दी. सिर्फ मोदी जी के ही नहीं, पूरे बिहार के विद्यार्थियों के मन की बात. बस प्रश्नपत्र ऐसे आयें कि किताब या गाइड में न मिलें.’’