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एनएच-33 के रोड़े हटेंगे, बढ़ी उम्मीद

राष्ट्रीय उच्च पथ-33 (एनएच-33) की स्थिति हरि अनंत हरि कथा अनंता जैसी हो गयी है. इसका काम कब पूरा होगा, यह आज की तारीख में बड़ा सवाल है. पिछले कई वर्षो से एनएच-33 के फोरलेनिंग का काम चल रहा है. इस दौरान राज्य में कई सरकारें बनीं. लेकिन किसी ने इस ओर सार्थक दृष्टि नहीं […]

राष्ट्रीय उच्च पथ-33 (एनएच-33) की स्थिति हरि अनंत हरि कथा अनंता जैसी हो गयी है. इसका काम कब पूरा होगा, यह आज की तारीख में बड़ा सवाल है. पिछले कई वर्षो से एनएच-33 के फोरलेनिंग का काम चल रहा है. इस दौरान राज्य में कई सरकारें बनीं. लेकिन किसी ने इस ओर सार्थक दृष्टि नहीं डाली. जबकि एनएच का दुरुस्त होना व्यावसायिक दृष्टिकोण के अलावा आम जनता के लिए भी अहम है. ऐसा नहीं है कि इसके लिए किसी एक को जिम्मेवार ठहराया जाये. अगर एनएच के काम में विलंब हो रहा है, तो इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों बराबर के जिम्मेवार हैं.

कहीं राज्य सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहण के मामले में सुस्ती बरती जा रही है, तो कहीं केंद्र की ओर से एनओसी नहीं दिये जाने के कारण काम में जड़ता आ गयी है. केंद्रीय भूतल व परिवहन मंत्रलय ने भी इस पर चिंता जतायी है. मंत्रलय ने झारखंड सरकार को पत्र लिख कर एनएच के काम में हो रहे विलंब की अद्यतन स्थिति की जानकारी मांगी है. जाहिर है एक लंबे अरसे के बाद केंद्र ने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी समझी है और राज्य सरकार से मामले की जानकारी मांगी है. यह राज्य के लिए अच्छा संकेत है.

इधर राज्य में भी रघुवर दास के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी है. नयी सरकार से लोगों की काफी अपेक्षाएं भी हैं, क्योंकि काफी समय के बाद राज्य मे बहुमतवाली सरकार बनी है. ऐसे में सरकार को चाहिए की वह इस मामले को लोकहित में प्राथमिकता के तौर पर ले और काम में तेजी लाये. अब बड़ा सवाल यह है कि राज्य सरकार कैसे इस काम में गति लाये. केंद्र ने जो पत्र लिखा है कि उसमें कहा है कि राज्य सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहण और फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं दिये जाने के कारण काम में समस्या आ रही है. एनएचएआइ को राज्य सरकार की ओर से 39.441 हेक्टेयर भूमि भी अब तक हस्तांतरित नहीं की गयी है. 77.622 हेक्टेयर भूमि के लिए भी जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना प्रकाशित नहीं की गयी है. इसके अलावा कई मामले ऐसे हैं, जिसमें केंद्र की अनुमति नहीं मिलने के कारण काम ठप है. ऐसे में राज्य और केंद्र दोनों का आपस में समन्वय जरूरी है, ताकि काम आगे बढ़े और लोगों को थोड़ी राहत मिले.

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