25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिरिसेना के दौरे से हैं कई उम्मीदें

श्रीलंका के नये विदेश मंत्री मंगला समरवीरा के बाद नये राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने भी अपने पहले विदेश दौरे के रूप में भारत आने को ही प्राथमिकता दी है. जाहिर है, सिरिसेना भारत के साथ नये सिरे से द्विपक्षीय संबंधों की इबारत लिखने को उत्सुक हैं. पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में दोनों देशों […]

श्रीलंका के नये विदेश मंत्री मंगला समरवीरा के बाद नये राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने भी अपने पहले विदेश दौरे के रूप में भारत आने को ही प्राथमिकता दी है. जाहिर है, सिरिसेना भारत के साथ नये सिरे से द्विपक्षीय संबंधों की इबारत लिखने को उत्सुक हैं. पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण होते गये थे.
श्रीलंका तमिल विद्रोहियों पर अप्रत्याशित रूप से हमलावर हुआ और 1987 के द्विपक्षीय समझौते की शर्ते खटाई में पड़ती गयीं. इस समझौते के तहत श्रीलंका ने स्वीकार किया था कि वह जातीय हिंसा के खात्मे के लिए अपने प्रांतों को स्वायत्तता देगा. दूसरे, महिंदा राजपक्षे ने हिंद महासागर में चीन के प्रभुत्व-विस्तार में मदद की. चीनी निवेश से श्रीलंका के हम्मनटोटा में बंदरगाह का निर्माण, चीनी पनडुब्बी का गुपचुप कोलंबो पहुंचना और सैन्य साजो-सामान की खरीद के मामले में चीन पर श्रीलंका की बढ़ती निर्भरता कुछ ऐसी बातें थीं, जिससे भारत का आशंकित होना स्वाभाविक था.
आर्थिक मामलों में भी तब श्रीलंका भारत की तुलना में चीन के ज्यादा करीब पहुंचा. कुछ वर्षो में निवेश और कर्जे के तौर पर चीन से श्रीलंका की विकास परियोजनाओं के लिए चीन से पांच अरब डॉलर मिले हैं, जबकि बीते बारह सालों में भारत श्रीलंका में महज एक अरब डॉलर ही का निवेश कर पाया है. श्रीलंकाई तमिल आबादी की राजनीतिक स्वायत्तता, भारतीय मछुआरों को आये दिन बंदी बना लेने की घटनाएं, चीन से श्रीलंका की बढ़ती नजदीकी समेत अनेक मसलों पर श्रीलंका के राष्ट्रपति का दौरा भारत के लिए अपनी चिंताओं के इजहार का मौका है.
भारत चाहेगा कि श्रीलंका अपने वादे और संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक प्रांतों को स्वायत्तता देना शुरू करे. भारत की यह अपेक्षा भी होगी कि श्रीलंका तमिलों के नरसंहार और मानवाधिकार-हनन के मुद्दे पर पिछली सरकार से अलग रवैया अपनाये. चूंकि मैत्रीपाल सिरिसेना स्वयं भी कह चुके हैं कि तमिल आबादी के प्रति उनका रुख न्यायपूर्ण होगा, इसलिए कूटनीतिक तौर पर भारत को अपनी बात कहने में दिक्कत नहीं होगी. उम्मीद है कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति के दौरे से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक दूरी कम होगी और मैत्रीपूर्ण संबंधों का दौर प्रारंभ होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें