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संताल के ठहरे मुद्दे को मिलेगी गति !

* मंत्रिमंडल का विस्तार नयी सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. इसकी विशेषता रही कि छह में से तीन मंत्री संताल परगना से शामिल किये गये हैं. मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष भी इसी क्षेत्र से हैं. कहा जा सकता है कि झारखंड गठन के बाद से संताल परगना का यह सबसे स्वर्णिम काल है. शायद […]

* मंत्रिमंडल का विस्तार

नयी सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. इसकी विशेषता रही कि छह में से तीन मंत्री संताल परगना से शामिल किये गये हैं. मुख्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष भी इसी क्षेत्र से हैं. कहा जा सकता है कि झारखंड गठन के बाद से संताल परगना का यह सबसे स्वर्णिम काल है.

शायद अब संताल परगना के विकास का रास्ता खुले. अब तक विकास की आस लगाये बैठे संताल परगना के ठहरे मुद्दों को गति मिलेगी. हूल क्रांति के जन्मदाता संताल परगना में शिक्षा स्वास्थ्य की घोर कमी है. अब तक जो भी सरकारें बनीं, उनका ध्यान संताल परगना पर कम ही रहा. हांलाकि जब राज्य का गठन हुआ तो उपराजधानी दुमका को ही बनाया गया. लेकिन, दुमका के बुनियादी ढांचे को देखा जाये तो कहीं से भी नहीं लगता है कि यहां कभी भी कैबिनेट बैठी हो. खास बात है कि संताल परगना में कई योजनाएं लंबित हैं.

कई जलाशय योजना पूर्ण नहीं होने से यहां सिंचाई की सुविधा ठीक नहीं है. यहां के कृषक वर्षा आधारित खेती ही करते हैं. वहीं दुमका में हाइकोर्ट बेंच की मांग काफी पुरानी है. अब जब सरकार के पांच उच्च पदों पर यहां के विधायक आसीन हैं तो उम्मीद की जानी चाहिए कि यहां का तीव्र गति से विकास होगा. लेकिन इस सरकार के पास मात्र 14 महीने का समय है.

इन 14 महीनों में अगर ये मंत्रीगण ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाते हैं तो विकास दिखेगा. इस कम समय में ये लोग यहां के विकास का मास्टर प्लान भी तैयार कर लेते हैं तो काफी होगा. आज भी इस क्षेत्र के लोग मामूली बीमारी के इलाज के लिए पटना, रांची बंगाल की दौड़ लगाते हैं. एक भी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है. सदर अस्पतालों का हाल भी काफी खराब है. वहीं शिक्षा की भी हालत ठीक नहीं है. बात देवघर की करें तो यहां के विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में लाखों श्रद्धालु एक महीने में पहुंचते हैं, बावजूद एक भी आधारभूत स्थायी संरचना नहीं है.

साहिबगंज के पानी में आर्सेनिक से निजात पाना होगा. वहीं यहां की सड़कें भी काफी जजर्र हैं. काम काफी हैं, समय कम है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपने दो मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार में काफी समय लग गया. अभी एक विस्तार बाकी है. अगर इसी गति से सरकार चलती रही तो क्या समय पर काम पूरा हो पायेगा? इसका ध्यान सरकार को रखना होगा.

दबाव की राजनीति से दूर रह कर विकास केंद्रित राजनीति हो, तभी बचे हुए 14 महीने का सदुपयोग हो पायेगा. संताल परगना के लोगों को इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं, सरकार को इन उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती स्वीकारनी होगी.

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