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राजनीति में शुचिता की पहल करें दल

पटना हाइकोर्ट से मुकदमा जीतने की खुशी में छातापुर के विधायक नीरज कुमार सिंह के समर्थकों ने जिस तरह खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन किया और फायरिंग की, वह जनप्रतिनिधियों के आचरण पर नये सिरे से बहस की दरकार रखता है. सामान्य लोगों के बीच अपनी ताकत और हैसियत की धौंस जमा कर खुद को सर्वश्रेष्ठ […]

पटना हाइकोर्ट से मुकदमा जीतने की खुशी में छातापुर के विधायक नीरज कुमार सिंह के समर्थकों ने जिस तरह खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन किया और फायरिंग की, वह जनप्रतिनिधियों के आचरण पर नये सिरे से बहस की दरकार रखता है. सामान्य लोगों के बीच अपनी ताकत और हैसियत की धौंस जमा कर खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की यह खास मानसिकता बिहार या कहें तो हिंदी पट्टी के राज्यों में गहरे रूप में जड़ जमा चुकी है.

यही कारण है कि शादी की बरात हो, चुनाव का परिणाम पक्ष में आया हो या मुकदमे में जीत हुई हो, कथित ‘बड़े लोग’ इसी तरह हथियार लहरा कर और फायरिंग कर खुशी का इजहार करते हैं.

मंगलवार को जिन ‘माननीय’ के समर्थकों ने सहरसा में हथियार लहराये, उनके समेत जदयू के चार बागियों की विधायकी को पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बहाल करने का फैसला दिया था. इसके पहले एक नवंबर को स्पीकर ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत उन्हें सदस्यता के अयोग्य ठहराया था. मुकदमे में जीत की खुशी में फायरिंग कर आखिर विधायक के समर्थक क्या संदेश देना चाहते थे? यही कि उनके पास तरह-तरह के हथियार हैं? माना कि ये लाइसेंसी हथियार थे, लेकिन क्या हथियारों के लाइसेंस इसी मकसद से दिये जाते हैं? इसके पहले भी कई ‘माननीय’ अपनी कारगुजारियों के कारण विवादों में आये हैं और इस घटना को भी उसी की निरंतरता में देखने की जरूरत है. गया में एक विधायक के बॉडीगार्ड ने एक कारोबारी से मारपीट की, तो उक्त कारोबारी ने विधायक पर खौलती चाशनी डाल दी.

पिछले माह सीवान जिले के एक विधायक का वह वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह मंच पर एक नर्तकी के साथ झूम रहे हैं. ऐसी घटनाओं के कारण राजनीति की साख को बट्टा लगता है और राजनीति करनेवालों के प्रति लोगों का भरोसा कमजोर होता है. राजनीतिक जीवन में शुचिता लाने के लिए सभी पार्टयिों को दलीय सीमा से ऊपर उठ कर खुद ही पहल करनी होगी. अपने दल के लोगों को यह एहसास दिलाना होगा कि राजनीतिक जीवन लोगों की सेवा का माध्यम है. यह पहल इसलिए भी जरूरी है कि सिद्धांत की राजनीति करनेवाले धकिया कर कहीं बाहर न कर दिये जायें.

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