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यहां सियासत अच्छी नहीं

इसी साल अमेरिका में बॉस्टन में लंबी दौड़ प्रतियोगिता के दौरान बम विस्फोट हुआ था, उसके बाद प्रसिद्ध टाइम पत्रिका ने अपने विशेष अंक में एक बुरी तरह बिलखते घायल बच्चे का फोटो छापा था. फोटो में बच्चे को एक पुलिसवाला गोद में लिये भाग रहा है. अमेरिका में इस फोटो पर बहस छिड़ गयी. […]

इसी साल अमेरिका में बॉस्टन में लंबी दौड़ प्रतियोगिता के दौरान बम विस्फोट हुआ था, उसके बाद प्रसिद्ध टाइम पत्रिका ने अपने विशेष अंक में एक बुरी तरह बिलखते घायल बच्चे का फोटो छापा था. फोटो में बच्चे को एक पुलिसवाला गोद में लिये भाग रहा है.

अमेरिका में इस फोटो पर बहस छिड़ गयी. इससे दूसरे बच्चों और अभिभावकों पर पड़नेवाले नकारात्मक असर से लेकर अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्वकारी भूमिकावाली छवि के धूमिल पड़ने तक की आशंका जाहिर की गयी. उस समय पूरा अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो गया, पर वैसी ही एकजुटता हम बोधगया धमाकों के बाद नहीं देखते. यहां धमाके के बाद घटनास्थल पर आम लोगों की भारी भीड़ जुटी. सभी आतंकी हमले की निंदा कर रहे थे. इसी दौरान प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेता- कार्यकर्ता भी जुटे, पर वे आतंकवाद के बजाय राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे.

यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, राज्य सरकार पर निशाना साधने में राजद भी पीछे नहीं रहा. दोनों दलों ने मगध प्रमंडल में बंद और धरना- प्रदर्शन किया.राज्य सरकार के पुतले जलाये. यही नहीं, अनेक नेताओं ने अपनी तरफ से हमलावरों को चिह्न्ति भी कर दिया. भाजपा प्रमुख राजनाथ सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि हमले में अंतरराष्ट्रीय संगठन का हाथ है.

उन्होंने इसके तार विदेश से जुड़े होने की बात कह दी. एक दूसरे नेता ने हमले को पुणेब्लास्ट से जोड़ दिया. अभी, जबकि जांच चल ही रही है, इस तरह एक तरफ राज्य सरकार को निशाने पर लेना और दूसरी तरफ विदेशी तार जुड़े होने की बात कहने से आखिर हम दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं. बोधगया अंतरराष्ट्रीय महत्व का धार्मिक स्थल है, और यहां हुए हमले पर पूरी दुनिया की नजर है. आतंकी हमले के बाद बौद्ध धर्मावलंबियों ने दूसरे ही दिन उसी तरह पूजा-अर्चना करके अच्छा संदेश दिया कि ऐसे हमलों से बुद्ध के शांति का संदेश धीमा पड़नेवाला नहीं है, अच्छा हो, बिहार के सभी दल भी संकट की इस विशेष स्थिति को समझे.

यह बिहार की धरती पर पहला आतंकी हमला है. इस समय पूरे प्रदेश को एकजुट होकर जांच-प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने में मदद करना चाहिए और साथ ही यह संदेश देना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष हम सब की राष्ट्रीय जिम्मेवारी है. इस राष्ट्रीय जिम्मेवारी को निभाने में पूरा प्रदेश एकजुट है. केवल ऐसा करके ही हम न केवल बौद्ध देशों व बल्कि पूरी दुनिया को संदेश दे सकेंगे कि बिहार में आतंकवाद की कोई जगह नहीं होगी.

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