आदरणीय प्रधानमंत्री जी
आपने देशवासियों से अपने ‘मन’ की बात की. मैंने भी आपके मन की बात सुनी और आपके मन की बात से पूरी तरह इत्तेफाक भी रखता हूं. जिस तरह आपने नशे को लेकर चिंता जाहिर की और आपने एक बड़े खतरे की ओर आगाह किया, नि:संदेह सभी आपकी बातों से सहमत होंगे.
मैं भी इस देश का नागरिक हूं और मुङो लगा कि मुङो भी अपने ‘मन’ की बात आपसे कह देनी चाहिए. मेरी बातों से आप कितने सहमत होंगे या मेरे मन की बात आप तक पहुंच पायेगी भी या नहीं, यह तो मुङो नहीं पता. मेरे मन की बात तो यह है कि नशे के सौदागारों और महिलाओं के प्रति खराब भाव रखनेवालों के लिए कानून में हत्या से भी बड़ी सजा मिलनी चाहिए. हत्यारा किसी को एक बार मारता है जबकि नशे के सौदागर किसी को तिल- तिल कर मारते हैं. इतना ही नहीं जिस घर का कोई व्यक्ति नशे की लत का शिकार हो जाता है, उसका पूरा परिवार उसकी चिंता में रोज-रोज मरता है. इसी तरह अगर किसी महिला के साथ रेप होता है, तो वह ता उम्र मरती रहती है.
प्रधानमंत्री जी मेरे मन की बात यह है कि देश में नशाबंदी को पूरी तरह लागू करना चाहिए. पहल विधायिका व कार्यपालिका से शुरू हो. व्यवस्था ऐसी बने या कहें कि ऐसा कानून बनना चाहिए कि कोई भी जनप्रतिनिधि या चाहे वह वार्ड सदस्य हो या सांसद अगर वह नशे का सेवन करता है तो उसकी सदस्यता स्वत: समाप्त हो जायेगी. यही कानून सरकारी अधिकारी व कर्मचारी के लिए भी बनना चाहिए. इतना ही नहीं अगर आम जनता भी नशा का सेवन करे, तो उसे संविधान प्रदत्त या सरकार प्रदत्त सरकारी सुविधा नहीं मिलनी चाहिए. अगर यह व्यवस्था हो जाये तो स्वत: देश में नशाबंदी लागू हो जायेगा. आधुनिकता या स्टेट्स सिंबल के नाम पर आज जिस तरह नशा हमारे जीवन में रोटी- दाल की तरह जगह बना चुका है, उसे शुभ लक्षण तो नहीं ही कहा जा सकता. प्रधानमंत्री जी, आपकी चिंता वाजिब है.
मेरे मन की बात तो यह है कि आप अपनी कैबिनेट के सहयोगियों की ही जांच करायें और अगर कोई इसमें नशा करता है तो उसे हटा दें. आप भी उसी प्रांत के हैं जिस प्रांत के दो बड़े लोग नशे के विरोधी थे. एक महात्मा गांधी दूसरे मोरारजी देसाई. मुङो देश के एक बड़े कृषि वैज्ञानिक (अब दिवगंत) ने बताया था कि उन्हें एक बार मोरारजी भाई देसाई ने कहा कि आप यह लिख कर दें कि मैंने जीवन में शराब नहीं पी है तो मैं आपको राज्यपाल बना दूंगा. कृषि वैज्ञानिक की सराहना करनी होगी कि उन्होंने मोरारजी भाई से कहा कि पढ़ाई के दौरान जीवन में सिर्फ एक बार अमेरिका में शराब पी थी. इसलिए मैं यह बात कैसे लिख कर दूं. अंत में प्रधानमंत्री जी आपके मन की बात में मैं भी उसी तरह साथ रहूंगा, जिस तरह सेतु बनाने में एक गिलहरी मर्यादा पुरुषोत्तम राम के साथ थी.
दीपक कुमार मिश्र
प्रभात खबर, भ़ागलपुर
deepak.mishra@prabhatkhabar.in