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काम हम करें और इनाम वह लें!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी की 10 दिवसीय यात्रा पर हैं. खबर आ रही है कि वे अपनी यात्र के दौरान सभी राष्ट्राध्यक्षों की डायरी में अपना नाम व पता खुद ही लिखते जा रहे हैं. वे ऐसा राजनयिक शिष्टाचार के तहत नहीं, बल्कि अतिरिक्त सतर्कता के लिहाज से कर रहे […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी की 10 दिवसीय यात्रा पर हैं. खबर आ रही है कि वे अपनी यात्र के दौरान सभी राष्ट्राध्यक्षों की डायरी में अपना नाम व पता खुद ही लिखते जा रहे हैं.

वे ऐसा राजनयिक शिष्टाचार के तहत नहीं, बल्कि अतिरिक्त सतर्कता के लिहाज से कर रहे हैं. यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी ‘दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है’. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान दौरे के अपने कटु अनुभवों से सतर्क हो चुके हैं. आप सभी को तो याद ही होगा कि वे तीन महीने पूर्व ही जापान दौरे पर गये थे. पूरी दुनिया में बहुप्रचारित मोदी की इस यात्रा को काफी अहम माना गया. खुद मोदी भी अपनी जापान यात्रा से बहुत संतुष्ट और आश्वस्त दिखे. पर नवंबर आते-आते उनकी यह निराशा हताशा में तब तब्दील हो गयी जब जापान ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपने शीर्ष राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक ‘दि ग्रैंड कॉर्डन ऑफ दि ऑर्डर ऑफ पाउलोविनया फ्लॉवर्स’ से सम्मानित किया.

भारत-जापान संबंधों को बेहतर बनाने में अहम योगदान के लिए उन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. वह इस प्रतिष्ठित सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय बने. इस घटना ने मोदी और उनके प्रशंसकों को अंदर से झकझोर दिया. सभी ऐसे दंग रहे गये मानो रंग में भंग पड़ गया हो. सभी के आंखो के सामने ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म चलने लगी, जिसमें मोदी की जापान यात्रा की तसवीरें साफ-साफ दिख रही थीं : एयरपोर्ट पर उतरने से लेकर विभिन्न बैठकों और अवसरों पर अलग-अलग कपड़ों में मोदी, बौद्ध मठ में एकांतवास कर ध्यान-चिंतन करते नरेंद्र मोदी, किनकाकुजी मंदिर में पर्यटकों और आगंतुकों से मुलाकात करते प्रधानमंत्री मोदी, उनसे हाथ मिलाते मोदी, प्यार से एक बच्चे का कान खींचते और लोगों के साथ तस्वीरें खिंचवाते मोदी, टोक्यो में टीसीएस कंपनी के उद्घाटन मौके पर पारंपरिक ‘ताइको’ ढोल बजाते, जापान के राजा अकिहितो से मुलाकात कर उन्हें उपहार स्वरूप खादी में मढ़ी ‘गीता’ की प्रति भेंट करते मोदी.. क्या कुछ नहीं किया, भारत-जापान संबंधों को बेहतर बनाने के लिए.

पर, जब पुरस्कार-सम्मान देने का अवसर आया तो नरेंद्र मोदी की जगह मनमोहन सिंह? यह हुआ कैसे? इसी उधेड़-बुन में थे मोदी और प्रशंसक कि म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी का दौरा बीच में आ गया. खैर भला हो इस दौरे का जिसने कई जिंदगियां बचा लीं, वरना तो कई को दौरा पड़ने ही वाला था. आखिरकार तय यह हुआ कि मोदी अपनी इस यात्रा पर ढोल व बांसुरी भले न बजायें पर सभी राष्ट्राध्यक्षों की पर्सनल डायरी में अपना नाम और पता फोन नंबर सहित साफ-साफ लिखेंगे, ताकि जो गलती जापान में हुई वह फिर से न हो. आखिर यह कैसे बरदाश्त होगा कि काम हम करें और इनाम किसी और को मिले..!

अखिलेश्वर पांडेय

प्रभात खबर, जमशेदपुर

apandey833@gmail.com

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