सीएनटी एक्ट अंगरेजों के जमाने में आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन आज उसका बेजा इस्तेमाल हो रहा है. आदिवासी समुदाय के लोग अपनी जमीन को अपने थाना क्षेत्र से बाहर के लोगों के हाथ नहीं बेच सकते, जबकि इस एक्ट में सामान्य वर्ग के पक्ष में क्षति-पूर्ति करके आदिवासियों की जमीन पर ही करोड़ों-अरबों रुपये की लागत से इमारतें बनायी जा रही हैं.
वस्तुस्थिति यह है कि जिस समुदाय विशेष की जमीन पर इस प्रकार की इमारतें बन रही हैं, उसके मालिक को औना-पौना दाम दिया जा रहा है. यदि सरकार सीएनटी एक्ट में संशोधन करती है, तो उसे आदिवासी हितों को भी ध्यान में रखना होगा. बाजार भाव के अनुसार जमीन मालिकों को लाभ दिलाने की दिशा में कारगर कदम उठाने होंगे, ताकि उनका जीवन स्तर सुधर सके.
दिनकर मिंज, रांची