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इजरायली अत्याचार पर खामोशी

कहा जाता है कि 70 साल पहले फिलीस्तीनियों द्वारा किया गया त्याग आज उन्हीं के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन चुका है. हिटलर द्वारा भगाये गये हजारों शरणार्थियों को पनाह देनेवाला फिलीस्तीन आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. बीते दिनों इजरायल ने गाजा में कई रॉकेट दागे, जिससे कई बेगुनाह बेमौत मारे […]

कहा जाता है कि 70 साल पहले फिलीस्तीनियों द्वारा किया गया त्याग आज उन्हीं के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन चुका है. हिटलर द्वारा भगाये गये हजारों शरणार्थियों को पनाह देनेवाला फिलीस्तीन आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. बीते दिनों इजरायल ने गाजा में कई रॉकेट दागे, जिससे कई बेगुनाह बेमौत मारे गये.

आश्चर्य यह है कि इजरायल के जुल्म को दुनिया चुपचाप देख रही है. खास तौर पर वे देश भी, जो पूरी दुनिया को मानवता का पाठ पढ़ाने का वादा करते हैं. मेरा सवाल उनसे है कि अगर उनके देश पर भी हमला होता, तो क्या वे चुप बैठते? घोर दुर्भाग्य है कि एक तरफ, दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष वातानुकूलित कमरों में बैठ कर अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का हल करने का दावा करते हैं और दूसरी तरफ, एक राष्ट्र बरबादी के कगार पर पहुंच चुका है, जिसे देखनेवाला कोई नहीं.

पायल गुप्ता, देवघर

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