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Friday, March 29, 2024

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सरकार की कोशिशों पर करें भरोसा

डॉ सय्यद मुबीन जेहरा शिक्षाविद drsyedmubinzehra@gmail.com दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने हाल ही में नयी सरकार के रूप में पुरानी ही मोदी सरकार को चुन लिया है. नयी सरकार से वही पुरानी उम्मीद है कि वह देश को विकास की मंजिलों की ओर लेकर जायेगी और सभी लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी. एक […]

डॉ सय्यद मुबीन जेहरा

शिक्षाविद

drsyedmubinzehra@gmail.com

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने हाल ही में नयी सरकार के रूप में पुरानी ही मोदी सरकार को चुन लिया है. नयी सरकार से वही पुरानी उम्मीद है कि वह देश को विकास की मंजिलों की ओर लेकर जायेगी और सभी लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी. एक ऐसी सरकार की तरह काम करेगी, जो समर्थकों तथा विरोधियों, दोनों को एक नजर से देखेगी और विकास में किसी को भी पीछे नहीं छोड़ेगी.

दुनिया के सियासी माहौल में भारत की एक विशेष भूमिका मानी जा रही है और दुनिया की बड़ी ताकतें भी मानती हैं कि आनेवाला वक्त भारत का है. वह तेजी से आगे बढ़नेवाली अर्थव्यवस्था है. अब भारत दुनिया में अपने हिसाब से विषय तय करने में कामयाब होने लगा है.

मोदी सरकार के दोबारा आने के बाद अल्पसंख्यकों के विकास को लेकर सवाल उठाये जा रहे थे. कुछ मुस्लिम संस्थाओं ने इस सिलसिले में सरकार के किसी कदम से पहले ही मुसलमानों के नाम खुले खत तक लिख कर उनसे कहना शुरू कर दिया कि वे खौफ न खाएं.

इस पर समझदार लोगों ने कहा कि ये लोग खुद ही अपने कारनामों के अंजाम से डरे हुए हैं, जिसे पूरे देश के मुसलमानों से जोड़ कर दिखाने की कोशिश की जा रही है. कुछ समझदार मुस्लिम धार्मिक नेताओं और संस्थाओं ने मोदी-2 का स्वागत करते हुए अपनी बात रखी है, ताकि सरकार संविधान के अनुसार कार्य करते हुए सभी भारतीयों का ख्याल रखे.

मोदी-2 सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए कई बड़े एलान करके हवा में घोली जा रही फिक्र और तनाव को दूर करने की कोशिश कर दी. इनमें जो एलान और मुद्दे हमें सीधे तौर से छूते हैं, वे शिक्षा से जुड़े हैं. इन पर सरकार अगर दिल के साथ जुड़ कर तमाम शक को दूर करते हुए काम करे, तो इसके सकारात्मक नतीजे आने शुरू हो जायेंगे.

अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा और रोजगार एक जरूरी मुद्दा है. मोदी सरकार ने पांच करोड़ अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए स्काॅलरशिप का एलान किया है. इस एलान से उम्मीद और भरोसे के नये रास्ते खुलते नजर आ रहे हैं. सरकार ने स्काॅलरशिप के साथ मदरसा शिक्षा पर भी ध्यान देने की बात कही है.

हालांकि, मदरसे को लेकर जब सरकारें कुछ बदलाव की कोशिश करती हैं, तो एक तरह की घबराहट-सी पैदा कर दी जाती है, जबकि बहुत से मदरसे खुद अपने तौर पर नये जमाने के हिसाब से बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर उनमें भी कहीं न कहीं कसर रह ही जाती है. अगर एक-दूसरे का विश्वास बनाये रखते हुए कुछ ऐसे बदलाव किये जाएं, जो आगे चल कर मदरसों का न सिर्फ सम्मान बुलंद करें, बल्कि यहां से पढ़नेवालों को रोजगार भी मिल सके, तो यह एक अच्छा कदम हो सकता है.

वैसे अल्पसंख्यकों को शिक्षा रोजगार से जोड़ने और स्वावलंबी बनाने का अगर कोई काम सरकार करना चाहती है, तो उस वक्त तक इस का स्वागत करना चाहिए, जब तक सरकार की कोशिशों में कोई कमी न दिखाई दे जाये. अभी तो सिर्फ एलान हुआ है और अगर हम शुरू में ही इसका विरोध शुरू कर देंगे, तो फिर अल्पसंख्यकों के लिए कोई आगे बढ़ कर कैसे काम करेगा? अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि विकास की रोशनी को हमें समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है.

यह क्या सिर्फ सरकार की कोशिशों से मुमकिन होगा या मुस्लिम समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी? इस मुहिम का स्वागत करते हुए हमें सरकार का साथ देना चाहिए, क्योंकि पांच करोड़ स्कॉलरशिप पानेवाले अल्पसंख्यकों में दूसरे धर्मों के लोग भी हैं. कहीं ऐसा न हो कि हम तो शक करते रह जाएं और दूसरे लोग इसका लाभ उठा लें.

आज की सबसे बड़ी जरूरत है शिक्षा. किसी भी दूसरे मजहब या समाज की तरह मुसलमानों को भी शिक्षा, रोजगार और सेहतमंद जिंदगी चाहिए. मुसलमानों को जिन शैक्षिक तथा रोजगार के अवसरों से वंचित रखा गया है, अब उन्हें वह मिलना ही चाहिए. हमारे समाज को सरकार की सच्ची नीयत वाले कामों का स्वागत करना चाहिए.

आज मुस्लिम समाज के अंदर खुद को आगे बढ़ाने को लेकर जागरूकता लानी होगी. इसके लिए मुस्लिम समाज के पढ़े-लिखे जिम्मेदार लोगों को आगे आना होगा. कई लोग अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा भी रहे हैं. उन्हें किसी सरकारी सहायता का इंतजार नहीं है. हमें उनका हौसला बढ़ाना चाहिए और अपनी हैसियत के हिसाब से उनकी मदद करनी चाहिए.

मदरसों में पढ़नेवाले विद्यार्थी नेकियों और अच्छाइयों को आगे बढ़ाते नजर आते हैं. आज जरूरत है कि उनको जो शिक्षा दी जा रही है, उसे रोजगार से भी जोड़ा जाए. उन्हें सरकारी संस्थानों में नौकरी के लिए तैयार किया जाए.

बहुत जरूरी है कि धार्मिक शिक्षा के साथ वे तकनीकी शिक्षा भी हासिल करें. वे अच्छाइयों और धार्मिक शिक्षा को तो आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन उनकी माली हालत को बेहतर बनाने के लिए उनको रोजगार और खुशहाल जिंदगी देने के मौके बढ़ाने होंगे.प्रधानमंत्री मोदी मुसलमानों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर देखना चाहते हैं.

यह होना चाहिए. मदरसों के विद्यार्थियों के हाथ में दीनी शिक्षा और कुरान है, लेकिन आज उनको जरूरत है रोजगार की और सरकार के भरोसे की. मदरसों के उस्तादों के लिए भी सरकार को सोचना होगा. सबसे अच्छी कोशिश होगी अगर सरकार कोई ऐसा सिस्टम बनाए, जो सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने पर सख्ती से नजर रखे और समय-समय पर उनका जायजा भी ले.

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