धरती बची रहेगी, तभी मानव जीवन इस पर सुरक्षित रहेगा. पूर्वजों ने धरती की रक्षा के लिए कई तरह मान्यताएं धर्म से जोड़ रखी हैं, जिसके पालन का एक ही मतलब है कि हमारी धरती कैसे पर्यावरण के दृष्टिकोण से सुरक्षित रहे. लेकिन, हम इसका अधिक से अधिक दोहन कर रहे हैं.
भूगर्भीय जल का दोहन और बर्बादी भी हो रही है. इसके प्रति लोगों को सचेत होने की जरूरत है. भारत में कैसी परंपराएं हैं, जिससे जैव विविधता का संरक्षण ही नहीं बल्कि पानी का भी संरक्षण होता है.
लेकिन मानव ने जिस प्रकार से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति में निहित जैव विविधता व पानी का अधिक दोहन शुरू किया उससे धरती ही संकट में पड़ सकती है. अगर हम समय रहते नहीं चेते तो प्रकृति अपने तरीके से संतुलन करेगी, जो काफी भयावह होगा.
नितेश कुमार सिन्हा, जानपुल चौक (मोतिहार)