भगतजी कुकिंग गैस सिलिंडर ऐसे थामे थे जैसे अनचाहा बोझ. मगर उन्हें पता है कि यह कितनी जरूरी चीज है. वे सिलिंडर के साथ दरवाजे पर रिक्शे के इंतजार में थे. घर में पत्नी बड़-बड़ कर रही थी. पत्नी का गुस्सा रेल किराया, डीजल-पेट्रोल, आलू-प्याज, गैस सिलिंडर की बढ़ी कीमतों से भी ऊंची थी.
तभी कल्लू कबाड़ी, ‘रद्दीवाला-कबाड़ीवाला’ की हांक लगाते पहुंचा. भगतजी को मायूस देख बोला, ‘सिलिंडर कबाड़ में बेचना है क्या बाबूजी’? भगतजी चुप. सो, कल्लू आवाज ऊंची कर बोला, ‘है कुछ टूटा-फूटा, रद्दी कबाड़ी में बेचने लायक बाबूजी’! भगतजी चौंके! कल्लू को घूरने लगे.
सोचने लगे, यह ससुरा व्यंग्य वाणी तो नहीं बोल रहा? मगर वे मायूसी की जगह दृढ़ता दिखाते हुए बोले, ‘अभी सपने टूटे नहीं, उम्मीदें बाकी है कल्लू’! कल्लू कबाड़ी को कुछ समझ में नहीं आया कि भगतजी क्या बोल रहे हैं, मगर वह भी उसी रौ में बोला, जब पूरी तरह टूट-फूट जाये, चिंदी-चिंदी हो जाये, तो मालिक-मुझको याद कर लीजिएगा. बस भगत जी भड़क गये, साले ताना कसता है! सिलिंडर से कलुआ का सिर फोड़ देना चाहे, पर वह इतना भारी था कि भगतजी से उठाये न उठा. तब गरियाते हुए कल्लू पर झपट पड़े. भगतजी का तेवर देख कलुआ अपनी रद्दी की बोरी संभालते भाग खड़ा हुआ. भागते-भागते श्री राम चाचा के दरवाजे पहुंचा. शेरुआ दौड़ा दिया क्या कल्लू? यह रहीम चाचा की आवाज थी, जो बहुत दिनों के बाद सुनाई पड़ रही थी. चुनाव के दरमियान कांग्रेसियों की नकली पुचकार व संघियों के असली प्रहार के डर से वे घर में दुबक गये थे. मोदीजी से असहमति दिखाने के चलते भाजपाई उन्हें पाकिस्तानी, आइएसआइ, अल कायदा-आइएम कहके धमकाते थे. मगर आज मोदी सरकार के अच्छे दिन जब सामने आने लगे, तो वे घर से निकल कर श्रीराम चाचा के घर पर डटे थे.
कल्लू ने सारा माजरा कह सुनाया, तो श्री राम चाचा डपट कर बोले, कल्लू वापस भगत के पास जाकर समझाओ कि वह पत्नी को समझा सके कि भाग्यवान! आलू-प्याज महंगे हो गये तो क्या, मोदी सरकार सौ नये शहर बसाने वाली है. फ्रांस को निर्माण का निमंत्रण दिये हैं, एक फ्लैट सस्ते में अपन की भी गारंटी है. मगर कल्लू ने कान पकड़ लिये और ‘नहीं’ में सिर हिलाने लगा. श्री राम चाचा जिद पर अड़े, अरे वे सबको अच्छे दिन का सपना दिखा सकते हैं, तो पत्नी को क्यों नहीं? मगर कल्लू भगत के पास जाने व समझाने के लिए तैयार नहीं हुआ. ‘चाचा यह ठगी है, ठगी में हमें साङोदार नहीं बनना’. कल्लू के मुंह से ठगी शब्द सुन कर रहीम चाचा कब दार्शनिक संत की तरह गंभीर हो गये. उनका गुरु गंभीर स्वर उभरा, बताओ श्रीराम सबसे बड़ा ठग कौन है? श्रीराम ने दार्शनिक की तरह उत्तर दिया, बनारस और जो बनारस को भी ठग ले? वह सबसे बड़ा ठग. बताओ – कौन? इस सवाल पर चाचा रह गये मौन. सो जवाब आप ही बता दीजिए बता सकते हैं तो.!
जावेद इस्लाम
प्रभात खबर, रांची
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