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कर्ज माफी में पेच

देश में ज्यादातर राज्य अपने खर्च और अपनी आमदनी में संतुलन नहीं बिठा पा रहे हैं. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इसके अपवाद नहीं हैं.ऐसे में किसानों की कर्ज माफी के अतिरिक्त खर्च को उठा पाना सरकारों के लिए आसान नहीं होगा. हम यह क्यों भूल जाते हैं कि सरकार इसकी भरपाई के लिए आम जनता […]

देश में ज्यादातर राज्य अपने खर्च और अपनी आमदनी में संतुलन नहीं बिठा पा रहे हैं. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इसके अपवाद नहीं हैं.ऐसे में किसानों की कर्ज माफी के अतिरिक्त खर्च को उठा पाना सरकारों के लिए आसान नहीं होगा. हम यह क्यों भूल जाते हैं कि सरकार इसकी भरपाई के लिए आम जनता से ही परोक्ष रूप से कर वसूलेगी? करों से इसकी भरपाई नहीं होगी, तो खर्च में कटौती करनी होगी. वैसे भी किसानों की समस्या का समाधान कर्ज माफी नहीं है.
आम किसानों को बैंकों से शायद ही कर्ज मिल पाता है. वैसे मध्य प्रदेश सरकार ने वायदे के अनुरूप कर्ज माफ नहीं किया है. किसानों के पूरे कर्ज माफ करने की घोषणा की जगह 31 जनवरी 2018 तक के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ किये गये हैं. इससे अधिक का कर्ज माफ नहीं होगा. राजनीतिक पार्टियां लोक लुभावने कदमों से बचें.
राजनीतिक करने तथा चुनाव जीतने के लिए ऐसे नारों का इस्तेमाल करें, ऐसे वादे करें, जिनसे विकास हो और जनकल्याण का रास्ता साफ दिखाई दे. किसानों की परेशानियां कम करने के लिए खत्म होती परंपरागत आधारभूत संरचना को जितना संभव हो, पुनर्जीवित करें.
मुकेश शेषमा, नवलगढ़, राजस्थान.

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