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आतंकवाद राज्य में नासूर न बनने पाये

पहले से ही नक्सली गतिविधियों से त्रस्त झारखंड में आतंकवाद भी तेजी से पनप रहा है. पटना में नरेंद्र मोदी की सभा में धमाके के बाद अचानक चर्चा में आये, रांची शहर से सटे सीठियो गांव से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने फिर छह बम बरामद किये हैं. शहर के दो अन्य स्थानों पर छिपा […]

पहले से ही नक्सली गतिविधियों से त्रस्त झारखंड में आतंकवाद भी तेजी से पनप रहा है. पटना में नरेंद्र मोदी की सभा में धमाके के बाद अचानक चर्चा में आये, रांची शहर से सटे सीठियो गांव से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने फिर छह बम बरामद किये हैं. शहर के दो अन्य स्थानों पर छिपा कर रखे गये विस्फोटक और डेटोनेटर भी बरामद किये गये. सीठियो में पहले भी विस्फोटकों की बरामदगी हो चुकी है.

अब एनआइए ने दो और युवकों को गिरफ्तार किया है और एक मौलाना को हिरासत में लिया है. संदग्धि आतंकवादियों और उनके मददगारों से टीम के सदस्य पूछताछ कर रहे हैं. अब तक की जांच से यह साफ हो चुका है कि आतंकवादी संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन राज्य में अपनी गतिविधियां जारी रखने में कामयाब रहे हैं. ये संगठन यहां के गरीब व बेरोजगार युवकों को प्रलोभन देकर राष्ट्र विरोधी कार्यो में फांस रहे हैं. पहले की घटनाओं से भी यह साबित हुआ है कि झारखंड में आतंकवादी गतिविधियों की जड़ें फैली हुई हैं.

इधर एनआइए को आशंका है कि ये संगठन भविष्य में कहीं किसी और बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. जहां एक ओर राष्ट्रीय जांच एजेंसी आतंकियों पर नकेल कसने और उनकी योजनाओं को विफल करने में कामयाब रही है, वहीं राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों की गतिविधियों की भनक तक नहीं लग पा रही है. ऐसा लगता है कि राज्य का खुफिया व सुरक्षा तंत्र इस मामले में पूरी तरह विफल रहा है. दरअसल झारखंड में अब तक की सरकारों की प्राथमिकता सूची में कभी भी कानून-व्यवस्था नहीं रही.

यही कारण है कि न तो नक्सलवाद पर सरकार रोक लगा पायी और न ही राज्य में फैल रहे आतंकवाद की जड़ों की भनक उसे लगी. अब भी समय है, सरकार कानून-व्यवस्था पर ध्यान दे. अपने सूचना तंत्र को और विकसित करे. सरकार को सूचनाएं मिलेंगी, तो संभवत: उन पर वह कार्रवाई भी करेगी. तभी राज्य के युवकों को देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सकेगा. अब भी समय है, सरकार इच्छाशक्ति दिखाये. अपने तंत्र को सुदृढ़ करे. यदि वह इसमें नाकाम रहती है, तो वह दिन दूर नहीं, जब नक्सलवाद की तरह झारखंड में आतंकवाद भी नासूर बन जायेगा.

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