1924 में रेल लाइन बिछने के बाद लौहांचल पश्चिम सिंहभूम से लौह अयस्क की ढुलाई आरंभ हुई थी. यहां से उच्च कोटि का अयस्क देश के कोने-कोने में भेजा जाता है, परंतु 93 वर्ष के बाद, आज भी लौहांचल से राज्य मुख्यालय रांची तक सीधी रेल सेवा उपलब्ध नहीं है. चाइबासा से दूसरे राज्यों के मुख्यालय जैसे कोलकाता, भुवनेश्वर के लिए सीधी रेल सेवा है, पर रांची के लिए कोई ट्रेन नहीं है. क्या रेल लाइन केवल लौह अयस्क ढोने के लिए है? यात्री सेवा किसकी जिम्मेदारी है? अत: एक इंटरसिटी ट्रेन गुआ से रांची अविलंब शुरू की जाये.
सोमेन होता, बड़ा जामदा